मदरसों में कौन से बदलाव करने जा रहा पाकिस्तान, सरकार से भिड़े धार्मिक संगठन

मदरसों में कौन से बदलाव करने जा रहा पाकिस्तान, सरकार से भिड़े धार्मिक संगठन


Madrasa Bill: धार्मिक मदरसों के पंजीकरण से संबंधित विधेयक को लेकर पाकिस्तान की सरकार और एक धार्मिक-राजनीतिक पार्टी के बीच गतिरोध जारी है. अधिकारियों ने कहा कि वे राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. सोसायटी पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2024 को संसद के दोनों सदनों से पहले ही पारित कर दिया गया है लेकिन अब अधर में लटक गया है, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-एफ (जेयूआई-एफ) को पहले ही आश्वासन दिया था कि यह कानून बन जाएगा.

इस विधेयक के पारित होने को व्यापक रूप से उन शर्तों में से एक बताया गया था, जिस पर जेयूआई-एफ ने गठबंधन सरकार का समर्थन किया था और अक्टूबर में 26वें संविधान संशोधन को पारित करने के लिए संसद में आवश्यक दो तिहाई बहुमत हासिल करने में मदद की थी. हालांकि इस विधेयक को संसद ने मंजूरी दे दी है, लेकिन अब इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत है, लेकिन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कानूनी आपत्तियों का हवाला देते हुए इस महीने की शुरुआत में विधेयक को प्रधानमंत्री कार्यालय को वापस कर दिया था.

क्या कहता है नया मदसरों पर नया बिल

मुख्य मुद्दा यह है कि नया विधेयक शिक्षा मंत्रालय के साथ मदरसों के पंजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया में संशोधन करता है और कहता है कि संस्थानों को उद्योग मंत्रालय से संबद्ध होना चाहिए. शिक्षा मंत्री खालिद मकबूल सिद्दीकी ने मदरसा सुधारों पर धार्मिक नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान कहा, “यह एक देश का निर्णय है और हम राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकेंगे, क्योंकि शिक्षा मंत्रालय के साथ मदरसों को पंजीकृत करने का निर्णय 2019 में सर्वसम्मति से लिया गया था और यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि धार्मिक विद्वान सामूहिक रूप से इसे बदलने का फैसला नहीं करते.”

बैठक को संबोधित करते हुए सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने कहा कि सभी हितधारकों को स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए “व्यापक विचार-विमर्श” किया जा रहा है. तरार ने कहा, “इस बैठक में हमने पाकिस्तान भर के धार्मिक विद्वानों के सुझावों पर गौर किया है और सरकार के भीतर उन पर चर्चा करेंगे, साथ ही पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए जेयूआई-एफ के साथ भी बातचीत करेंगे.”

बैठक में शामिल धार्मिक मामलों के मंत्री चौधरी सालिक हुसैन ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के तहत धार्मिक मदरसों को पंजीकृत करने का उद्देश्य ऐसे संस्थानों में छात्रों को समकालीन शिक्षा प्रदान करना है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि वे (मदरसा छात्र) डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट बनें और धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अन्य व्यवसायों में भी आगे बढ़ें.”

जेयूआई-एफ ने दी ये धमकी

हालांकि, जेयूआई-एफ ने धमकी दी है कि अगर विधेयक कानून नहीं बनता है तो वे राजधानी तक विरोध मार्च निकालेंगे. जेयूआई-एफ सीनेटर कामरान मुर्तजा ने कहा कि उनकी पार्टी ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 17 दिसंबर को इत्तेहादुल मदारिस की बैठक बुलाई है, जो प्रमुख विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले मदरसों का एक समूह है.

अरब न्यूज के मुताबिक, उन्होंने कहा, “हम उस बैठक में आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे. हमें उम्मीद है कि सरकार जिम्मेदारी से काम करेगी और अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी, नहीं तो हम इस्लामाबाद तक मार्च करने सहित सभी रास्ते अपनाएंगे.”

सोमवार की बैठक को संबोधित करते हुए धार्मिक शिक्षा महानिदेशक गुलाम क़मर ने कहा कि 2019 से अब तक 18,600 मदरसों ने शिक्षा मंत्रालय में पंजीकरण कराया है. उन्होंने कहा, “हम सेमिनारियों को शिक्षक भी उपलब्ध करा रहे हैं और इस साल सेमिनारियों के 2,500 छात्रों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया गया.”

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