महंगी दवाओं पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- ‘पर्चे में सिर्फ जेनरिक दवा लिखना अनिवार्य बन

महंगी दवाओं पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- ‘पर्चे में सिर्फ जेनरिक दवा लिखना अनिवार्य बन


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डॉक्टरों से अपने पर्चे में सिर्फ जेनेरिक दवा लिखने को कहना चाहिए. यह अहम टिप्पणी कोर्ट ने एक ऐसे मामले को सुनते हुए की है जिसमें दवाओं की मार्केटिंग से जुड़े नियमों को कानूनी रूप बाध्यकारी बनाने की मांग की गई है. फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था की यह याचिका 2021 में दाखिल हुई थी.

डोलो 650 को लेकर उठे थे गंभीर सवाल
कोविड के दौरान डॉक्टरों की तरफ से सबसे ज्यादा लिखी जा रही दवाइयों में से एक डोलो 650 पर उठे गंभीर सवालों को आधार बनाते हुए यह याचिका दाखिल हुई थी. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की संस्था ने दावा किया था कि डोलो 650 में पेरासिटामोल का डोज मरीज की जरूरत से ज्यादा रखा गया. ऐसा दवा को महंगा बनाने के लिए किया गया. कंपनी ने डॉक्टरों को तरह-तरह के लालच देकर उनसे यही दवा लिखवाई. याचिका में दवा कंपनी की तरफ से डॉक्टरों को उपहार देने और विदेश यात्रा करवाने के लिए 1000 करोड़ रुपए के खर्च करने की बात कही गई थी.

याचिका में बताया गया था कि सरकार ने यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज बना रखा है, लेकिन इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं बनाया गया है. इस कोड के पैराग्राफ 6 और 7 में दवा कंपनियों को डॉक्टरों और बाकी लोगों को तोहफे बांटने या दूसरे लाभ पहुंचाने से मना किया गया है, लेकिन इस कोड को कानून का रूप नहीं दिया गया है.

‘डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य बनाने की जरूरत’
गुरुवार (1 मई) को याचिका जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच में सुनवाई के लिए लगी. बेंच ने कहा कि अगर पूरे देश में डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य बना दिया जाए तो यह समस्या हल हो जाएगी. जस्टिस मेहता ने कहा, “राजस्थान में यह सरकारी आदेश है कि डॉक्टर पर्चे में किसी ब्रांड नाम की दवा नहीं लिखेंगे. यह आदेश हाई कोर्ट के एक फैसले के आधार पर जारी किया गया.”

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 2011 में ‘विजय मेहता बनाम राज्य सरकार’ मामले में आए राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा. मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी. सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इंडियन मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए हैं. इस मसले पर स्वास्थ्य मामलों की संसदीय कमिटी ने भी रिपोर्ट दी है. उसे लागू करने पर विचार किया जा रहा है.

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