‘महासलिला’ और ‘सूर्य सिद्धांत’, ISRO चीफ ने क्यों किया दुनिया के सामने इन ग्रंथों का जिक्र

‘महासलिला’ और ‘सूर्य सिद्धांत’, ISRO चीफ ने क्यों किया दुनिया के सामने इन ग्रंथों का जिक्र


ISRO Ex Chief Somanath: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार (29 मार्च, 2025) को यहां ‘महासलिला’ और ‘सूर्य सिद्धांत’ जैसे प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि भारत हमेशा से एक महान राष्ट्र रहा है, जिसने वेदों के समय से लेकर आज के उन्नत वैज्ञानिक युग तक ब्रह्मांड के बारे में दुनियाभर में समझ पैदा करने में योगदान दिया है.

भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के 60वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने शोध संगठनों, शिक्षा जगत और उद्योग के बीच संबंध की आवश्यकता पर बल दिया. सोमनाथ ने कहा, ‘‘इस मौके पर मैं भारत की समृद्ध और गौरवशाली ज्ञान परंपरा पर प्रकाश डालना चाहूंगा. वेदों से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक युग तक, भारत हमेशा ब्रह्मांड के संबंध में दुनियाभर में समझ पैदा करने में योगदान देने वाला एक महान राष्ट्र रहा है.’’

साइंस और मानव ज्ञान दुनिया का पहला ज्ञान का स्रोत 

सोमनाथ ने कहा कि साइंस और अन्य मानव ज्ञान ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की, जो दुनिया का पहला ज्ञान का स्रोत बना. भूगोल, गणित, धातु कर्म, खगोलशास्त्र और दर्शन में वैज्ञानिक समझ प्रदान करने में उसे समय अन्य जगह से काफी आगे थे.

सूर्य सिद्धांतों में किसका वर्णन?

सोमनाथ ने कहा, “महासलिल वैज्ञानिक दृष्टि से दुनिया की उत्पत्ति को सुंदर तरीके से पेश करता है. यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति के आदिम स्रोत पर आधारित एक संस्कृत ग्रंथ है. उन्होंने आगे कहा, सूर्य सिद्धांतों में ग्रहों की गति, कक्षाएं आदि का विस्तार से वर्णन है, जिससे मैं गहराई से जुड़ा हूं. इसमें सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की स्थिति को बहुत शानदार तरीके से समझाया गया है और इसके गणितीय निष्कर्ष आज के मानकों के अनुसार भी काफी सटीक हैं.”

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