AAC And JKIM Ban: भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के दो अलगाववादी संगठनों – जम्मू और कश्मीर आवामी एक्शन कमेटी (AAC) (मौलवी मीरवाइज उमर फारूक) और जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (JKIM) को पांच साल के लिए “गैरकानूनी संगठन” घोषित कर दिया है. इस फैसले से पाकिस्तान भड़क उठा और उसने भारत के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है.
भारत सरकार ने यह प्रतिबंध कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों कोरोकने और राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए लगाया है. गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाने के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरे को प्रमुख कारण बताया.
पाकिस्तान ने भारत के फैसले की निंदा की
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर भारत के इस फैसले को “लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों का उल्लंघन” बताया. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, “AAC का नेतृत्व कश्मीर के प्रमुख धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक कर रहे हैं. JKIM की स्थापना मौलाना मोहम्मद अब्बास अंसारी ने की थी, जो 2022 तक इसके प्रमुख थे. यह भारत की ओर से कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को दबाने की रणनीति है.”
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मुद्दा फिर दोहराया
पाकिस्तान ने अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का जिक्र करते हुए कहा,”भारत को कश्मीरी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध हटाना चाहिए और UNSC के प्रस्तावों को लागू करना चाहिए. हालांकि, भारत पहले ही साफ कर चुका है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और संयुक्त राष्ट्र या किसी अन्य देश के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है.
भारत ने क्यों किया प्रतिबंध?
- ये संगठन अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं.
- भारतीय संप्रभुता और एकता के खिलाफ काम कर रहे थे.
- कश्मीर में अशांति और अस्थिरता फैलाने में संलिप्त थे.
- पाकिस्तान समर्थित संगठनों से इनका संबंध रहा है.
- पिछले साल भी भारत ने कई अलगाववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद प्रतिबंधित समूहों की संख्या अब 16 हो गई है.
क्या है भारत की नीति?
दरअसल, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि अलगाववादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी. कश्मीर में आतंकवाद और उग्रवाद को किसी भी हाल में बढ़ने नहीं दिया जाएगा. जो संगठन देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होंगे, उन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.
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