Kerala Woman Misbehave Case: पिछले महीने चोरी के झूठे मामले में पुलिस हिरासत में एक दलित महिला के साथ किए गए व्यवहार की वजह से केरल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. महिला ने सोमवार (19 मई, 2025) को मीडिया के सामने अपनी आपबीती सुनाई. विरोध प्रदर्शन के बाद बिना किसी शुरुआती जांच के महिला को हिरासत में लेने के आरोप में एक सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम के एक घर से कथित तौर पर 18 ग्राम सोने की चोरी हो गई थी. ये महिला इसी घर में काम करती थी. 23 अप्रैल को शहर की पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज किया था. उसी शाम इस महिला को पुलिस स्टेशन बुलाया गया, जहां उसने कहा कि एक महिला पुलिसकर्मी ने उसकी जांच की ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने चोरी की चीज अपने पास तो नहीं छिपा रखी है.
महिला ने क्या कहा?
पीड़ित महिला ने बताया, “मैंने पुलिस से गुहार लगाई कि मैंने चेन और पेंडेंट नहीं चुराया है. जब पुलिस मुझसे कुछ भी बरामद नहीं कर पाई तो वे मुझे तलाशी के लिए एक घर में ले गई. फिर मुझे वापस पुलिस स्टेशन ले आए, जहां मुझे पूरी रात रहने के लिए मजबूर किया गया. मुझे खाना या पानी नहीं दिया गया और सोने भी नहीं दिया गया. जब मैंने पीने का पानी मांगा तो उन्होंने मुझे टॉयलेट से पानी लाने के लिए कहा.”
जब मामले में आया नया मोड़
अगले दिन मामले में नया मोड़ तब आया जब शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उनके घर पर चोरी किया गया सोना मिल गया है. इसके बाद महिला को पुलिस हिरासत से रिहा कर दिया गया. बाद में पीड़ित महिला ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी शशि, राज्य के पुलिस प्रमुख और एससी/एसटी आयोग के समक्ष अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराईं. कुछ दिनों के भीतर एक सहायक पुलिस आयुक्त ने उनका बयान दर्ज किया और कार्रवाई का वादा किया.
हालांकि महिला को भरोसा तो दे दिया गया लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद महिला ने मीडिया से बात की और अपनी आपबीती सुनाई. पत्रकारों को पूरी घटना के बाद में जानकारी दी. जब मीडिया में ये मामला उछला तब फिर कहीं जाकर मामले में एक्शन लिया गया और महिला को हिरासत में लेने वाले सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया.
विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्षी नेता और कांग्रेस के वी.डी. सतीशन ने आरोप लगाया कि इस घटना से समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सरकार की उदासीनता उजागर होती है. उन्होंने कहा, “सरकार को अपनी चौथी वर्षगांठ मनाने का कोई अधिकार नहीं है. दलित महिला के साथ हुई घटना से पता चलता है कि महिलाओं की सुरक्षा एक खोखला वादा है.”
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