मुसलमानों को ठेकेदारी में 4 % आरक्षण देने की तैयारी में कर्नाटक सरकार, बीजेपी ने किया विरोध

मुसलमानों को ठेकेदारी में 4 % आरक्षण देने की तैयारी में कर्नाटक सरकार, बीजेपी ने किया विरोध


Muslim Reservation: कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार एक बार फिर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण की तर्ज पर सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर विचार कर रही है. राज्य सरकार के इस कदम की बीजेपी नेताओं ने जमकर आलोचना की है.

पिछले महीने राज्य के मुस्लिम विधायकों और समुदाय के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पहले मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को ज्ञापन सौंपकर मुसलमानों के लिए सरकारी ठेकों में आरक्षण की मांग की थी. सरकार ने इस पर विचार किया, लेकिन जब मामला विवाद में आया तो सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे.

क्या है कर्नाटक सरकार की योजना

सरकार आरक्षण लाने के लिए विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता अधिनियम, 1999 में संशोधन करने की योजना बना रही है. वित्त विभाग ने एक खाका तैयार किया है. कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है. कर्नाटक में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए 24%, ओबीसी श्रेणी-1 के लिए 4% और श्रेणी-2ए में ओबीसी के लिए 15% सिविल वर्क कॉन्ट्रेक्ट आरक्षित हैं.

ये आरक्षण सामूहिक रूप से कुल अनुबंधों का 43% है. अगर प्रस्तावित 4% मुस्लिम कोटा श्रेणी-2B के तहत लागू किया जाता है तो सरकारी अनुबंधों में कुल आरक्षण 47% तक बढ़ जाएगा, जिसकी सीमा दोगुनी होकर 2 करोड़ रुपये हो जाएगी.

बीजेपी ने किया विरोध

बीजेपी विधायक वाई. भरत शेट्टी ने कहा कि यह कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है. पार्टी अपने वोट बैंक को खुश करने की कोशिश कर रही है. उनकी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही राज्य की कानून-व्यवस्था की बलि चढ़ गई है. अब वे एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. अल्पसंख्यक ठेकेदारों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की नीति तुष्टिकरण की राजनीति का एक उच्च स्तर है, साथ ही यह सत्ता का दुरुपयोग है.

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, कर्नाटक बीजेपी कांग्रेस सरकार की धर्म के आधार पर समाज और राज्य को विभाजित करने की नीति की कड़ी निंदा करती है और इसका विरोध करती है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह तुष्टिकरण के लिए सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने के अपने फैसले को वापस ले.

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