Uniform Civil Code: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता (UCC) कानून को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. AIMPLB ने शुक्रवार (21 फरवरी,2025) को UCC कानून के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने कहा कि बोर्ड ने एक याचिका दायर की है, जिसमें तर्क दिया गया है कि यूसीसी कानून संविधान के विभिन्न लेखों का उल्लंघन करता है और मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ जाता है, जिसे 1937 के शरिया आवेदन अधिनियम और भारतीय संविधान के तहत संरक्षित किया गया है और याचिका को उत्तराखंड के उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है और अगली सुनवाई 1 अप्रैल, 2025 के लिए निर्धारित है.
एआईएमपीएलबी का तर्क
UCC संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है. यह मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है, जो 1937 के शरीयत आवेदन अधिनियम और भारतीय संविधान की ओर से संरक्षित है. UCC से धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का हनन हो सकता है.
याचिका की सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया
याचिका को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है. अगली सुनवाई 1 अप्रैल 2025 को होगी. उत्तराखंड सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी गई है.
याचिका पर सॉलिसिटर जनरल राज्य और केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए. बता दें कि 10 लोगों ने याचिका दायर की, जिनमें कई AIMPLB से जुड़े हैं.
याचिकाकर्ताओं में ये लोग शामिल
रजिया बेग, अब्दुल बासित, खुर्शीद अहमद, तौफीक आलम, मोहम्मद ताहिर, नूर करम खान, अब्दुल रऊफ, याकूब सिद्दीकी, लताफत हुसैन, अख्तर हुसैन. वरिष्ठ अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने याचिका का नेतृत्व किया. अधिवक्ता नबीला जमील ने याचिका का मसौदा तैयार किया. 1 अप्रैल 2025 को इस याचिका पर सुनवाई होगी. पहले से लंबित याचिकाओं के साथ इस पर विचार किया जाएगा. राज्य सरकार अपनी दलीलें पेश करेगी.
UCC पर विवाद जारी
यह याचिका उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद की गई पहली बड़ी कानूनी चुनौती है. AIMPLB और अन्य संगठनों का कहना है कि UCC से धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी, जबकि सरकार का तर्क है कि यह कानून समानता और न्याय को बढ़ावा देगा. अब सबकी नजर 1 अप्रैल 2025 की सुनवाई पर टिकी है.