‘मोदी सरकार की चुप्पी ने बढ़ाए ट्रंप के हौसले’, सीजफायर को लेकर कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल

‘मोदी सरकार की चुप्पी ने बढ़ाए ट्रंप के हौसले’, सीजफायर को लेकर कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल


Ashok Gehlot on India-Pakistan Ceasefire: कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता और संघर्ष विराम से जुड़े हालिया बयानों पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को निराशाजनक बताया.

गहलोत ने हैरानी जताते हुए कहा, “भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक संघर्ष विराम की घोषणा और वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से किए जाने से पूरा देश आश्चर्यचकित है.” उन्होंने कहा, “ट्रंप भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में क्यों तौल रहे हैं? पीएम मोदी के संबोधन से पहले ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार बंद करने का डर दिखाकर संघर्ष विराम करने को कहा.”  

गहलोत ने ट्रंप के उस बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की बात कही थी. उन्होंने कहा कि भारत की नीति शिमला समझौते के बाद से द्विपक्षीय मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप के विरोध में रही है, ऐसे में ट्रंप के यह बयान गंभीर चिंता के विषय हैं.

क्या अमेरिका के दबाव में स्थगित किया गया ऑपरेशन सिंदूर?

कांग्रेस नेता ने कहा, “मोदी सरकार की चुप्पी ने डोनाल्ड ट्रंप के हौसले बढ़ा दिए हैं.” उन्होंने पूछा कि ट्रंप के बयानों पर मोदी सरकार चुप क्यों है? क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ अमेरिका के दबाव में स्थगित किया गया? उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम करना ही था तो प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री स्तर पर बात होनी चाहिए थी, जिसमें पाकिस्तान से उसकी धरती पर आतंकी अड्डे न पनपने देने का ठोस आश्वासन लिया जाता.

1971 में भी अमेरिका ने भारत पर दवाब बनाने का किया था प्रयास

गहलोत ने याद दिलाया कि अमेरिका ने हमेशा भारत पर दबाव डालने का प्रयास किया. 1971 के युद्ध के दौरान बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का सातवां बेड़ा तैनात करके अमेरिका ने भारत को धमकाने की कोशिश की थी. इसके बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आगे बढ़कर पाकिस्तान को दो टुकड़ों में तोड़ दिया.

अशोक गहलोत ने कहा, “लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुश्किल घड़ी में केंद्र सरकार का साथ दिया, लेकिन अचानक संघर्ष विराम से सब कुछ बदल गया और पाकिस्तान में पनपने वाले आतंकवाद को हमेशा के लिए खत्म करने का मौका गंवा दिया गया. भारत को पाकिस्तान की ऐसी स्थिति करनी चाहिए थी कि वह आतंकी हमले करने के काबिल न रहे, लेकिन अचानक संघर्ष विराम से देश हैरान रह गया.”

उन्होंने कहा, “संघर्ष विराम के बाद भी पाकिस्तान के हमले जारी रहे. सवाल उठता है कि जब हमारी सेना पाकिस्तान को धूल चटा रही थी, तो अचानक संघर्ष विराम की घोषणा क्यों कर दी गई.” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नैतिक अधिकार और नैतिक साहस दोनों खो दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने देशवासियों की विभिन्न शंकाओं को दूर करने के लिए सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपनी पार्टी की मांग दोहराई.

पीएम मोदी विपक्ष के समर्थन के बावजूद सर्वदलीय बैठक में क्यों नहीं आए?

गहलोत ने कहा, “प्रधानमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि विपक्ष के समर्थन के बावजूद वे सर्वदलीय बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए.” उन्होंने कहा कि तीसरी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे तो देश में अच्छा संदेश जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि पहलगाम हमले को लेकर कितने राष्ट्र हमारे साथ खड़े रहे.”

उन्होंने कहा, “अजरबैजान और तुर्की पाकिस्तान के साथ आए, लेकिन हमारे साथ कोई देश खुलकर खड़ा नहीं हुआ. देश यह भी जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री मोदी पर किस प्रकार का दबाव है कि वे कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहे हैं. सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने जब राष्ट्र के नाम संबोधन दिया तो उम्मीद थी कि वे इन बातों पर जवाब देंगे, लेकिन वे इनपर कुछ बोले ही नहीं.”



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *