भारत में बेरोज़गारी फिर से बढ़ने लगी है. मई 2025 में देश की औसत बेरोज़गारी दर बढ़कर 5.6 फीसदी हो गई, जबकि अप्रैल में यह 5.1 फीसदी थी. 15 से 29 साल की उम्र वाले युवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इनमें बेरोज़गारी दर 13.8 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गई है.
वहीं युवतियों के मामले में हालात और चिंताजनक हैं. अप्रैल में जहां 14.4 फीसदी बेरोज़गारी थी, वो अब 16.3 फीसदी पहुंच गई है. जबकि, पुरुषों में यह आंकड़ा 14.5 फीसदी रहा.
ग्रामीण और शहरी दोनों जगह बढ़ी बेरोज़गारी
शहरों में बेरोज़गारी दर 17.2 फीसदी से बढ़कर 17.9 फीसदी हो गई. वहीं गांवों में भी यह आंकड़ा 12.3 फीसदी से बढ़कर 13.7 फीसदी पहुंच गया है. रिपोर्ट कहती है कि गांवों में खेती से जुड़ी नौकरियों में कमी आई है. अप्रैल में जहां 45.9 फीसदी लोग कृषि में लगे थे, अब यह आंकड़ा 43.5 फीसदी हो गया है. इसकी जगह लोग अब औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में काम खोजने लगे हैं.
महिलाएं अब कम संख्या में ले रही हैं काम में हिस्सा
ग्रामीण भारत में महिलाओं की भागीदारी यानी Labour Force Participation Rate (LFPR) 38.2 फीसदी से घटकर 36.9 फीसदी हो गई है. इसकी वजह ये बताई जा रही है कि अब पहले से कम महिलाएं खेतों में मजदूरी या बिना मेहनताना काम कर रही हैं.
इसके अलावा, काम कर रहे लोगों की संख्या का अनुपात (WPR) भी कम हुआ है. देश में WPR 52.8 फीसदी से घटकर 51.7 फीसदी हो गया है. महिलाओं में तो ये गिरकर 32.5 फीसदी से 31.3 फीसदी रह गया है.
क्या है ये PLFS सर्वे?
ये आंकड़े Periodic Labour Force Survey (PLFS) के नए मासिक एडिशन से निकाले गए हैं. मई में पहली बार ये मासिक रूप में जारी किया गया, जिससे हर महीने की बेरोज़गारी और कामकाज से जुड़ी तस्वीर सामने आए. इस सर्वे में देश भर के 89,000 से ज़्यादा घरों और करीब 3.8 लाख लोगों से बात की गई, ताकि ये पता चल सके कि असल में लोग काम कर रहे हैं या बेरोज़गारी झेल रहे हैं.
तो क्या आगे और बढ़ेगी बेरोज़गारी?
सरकार ने अभी इसे मौसमी कारणों से जुड़ा बताया है, जैसे खेती के सीजन का खत्म होना. लेकिन अगर नए रोजगार नहीं आए या ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में बेरोज़गारी और भी बढ़ सकती है.
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