युवाओं के लिए खास है 2025, प्राइवेट सेक्टर में होने वाली है बंपर हायरिंग

युवाओं के लिए खास है 2025, प्राइवेट सेक्टर में होने वाली है बंपर हायरिंग


नया साल भारतीय युवाओं के लिए नई सौगात लेकर आ रहा है, क्योंकि आने वाले महीनों में कई कंपनियों में बंपर भर्ती होगी. ऐसे में रोजगार के लिए भटक रहे युवाओं की तलाश भी जल्द खत्म होगी. मैनपावरग्रुप के एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सर्वे में शामिल हुए कॉर्पोरेट की दुनिया के 40 फीसदी दिग्गजों ने अगले तीन महीनों में यानी जनवरी से लेकर मार्च तक अपनी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की बात कही है. भारत में इस दरमियान रोजगार परिदृश्य वैश्विक स्तर पर सबसे मजबूत रहने के आसार है. कुल मिलाकर जनवरी से लेकर मार्च तक युवाओं को खूब मौके मिलेंगे. 

आर्थिक विकास की राह चला भारत

इस सर्वेक्षण में देश के अलग-अलग सेक्टर से 3,000 से अधिक कंपनियों को शामिल किया गया. मंगलवार को जारी इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, 53 प्रतिशत कंपनियों की योजना अपने यहां कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की है, जबकि महज 13 प्रतिशत नियोक्ता ही ऐसे रहे, जिन्होंने 2025 की पहली तिमाही में कर्मचारियों की संख्या कम करने की आशंका जताई.

वहीं 31 प्रतिशत कंपनियां किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. इस साल देश में मुद्रास्फीति संभावित रूप से कम होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है, जिससे उपभोक्ता अधिक खर्च करेंगे और देश का आर्थिक विकास होगा. इतना ही नहीं, अगले साल मानसून की स्थिति अनुकूल होने के चलते कृषि उत्पादन में भी सुधार होने की उम्मीद है.

ग्लोबल लीडर बनकर उभर रहा भारत

मैनपावरग्रुप के भारत एवं पश्चिम एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप गुलाटी ने कहा, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और साल 2025 की पहली तिमाही एम्प्लॉयमेंट आउटलुक में ग्लोबल लीडर रूप में इसकी स्थिति देश की आर्थिक प्रगति में नियोक्ताओं के विश्वास को दर्शाती है.

भारत में सबसे अधिक 40 प्रतिशत रोजगार पैदा होने का अनुमान है. इसके बाद 34 प्रतिशत के साथ अमेरिका, 32 प्रतिशत के साथ मेक्सिको क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है. रोजगार परिदृश्य के हिसाब से अर्जेंटीना के लिए पूर्वानुमान सबसे खराब -1 प्रतिशत रहा. वहीं वैश्विक औसत 25 प्रतिशत आंका गया.

पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर काम कर रहीं महिलाएं

सर्वेक्षण में कार्यस्थलों में लैंगिक समानता होने की भी बात सामने आई है. करीब 30 फीसदी कंपनियों का कहना है कि उन्होंने अपने संस्थान में लैंगिक समानता के लक्ष्य को पहले ही हासिल कर लिया है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 21 प्रतिशत था.

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