देश की राजधानी दिल्ली से कोलकाता तक, Enforcement Directorate (ED) की एक बड़ी कार्रवाई में यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) सुबोध कुमार गोयल को गिरफ्तार किया गया है. सुबोध पर आरोप है कि उन्होंने एक कंपनी को हजारों करोड़ के लोन दिलवाने में धांधली की और बदले में मालामाल हो गए.
क्या है पूरा मामला?
ED के मुताबिक, गोयल पर आरोप है कि जब वो UCO Bank के CMD थे, तब उन्होंने Concast Steel & Power Ltd. (CSPL) नाम की कोलकाता बेस्ड कंपनी को मोटे लोन पास करवाए. बात सिर्फ कागज़ों तक नहीं रही, लोन की रकम, यानी करीब 6,210 करोड़, को कंपनी ने इधर-उधर घुमा दिया और ये पैसा आखिरकार गलत हाथों में चला गया.
इतना ही नहीं, ED का दावा है कि गोयल को इस पूरे खेल के बदले में “कमीशन” मिला. कैश, प्रॉपर्टी, लग्ज़री चीजें, होटल बुकिंग्स, ये सब कुछ एक जाल जैसे नेटवर्क के ज़रिए पहुंचाया गया, ताकि किसी को भनक न लगे.
कैसे हुआ खुलासा?
इस मामले में सबसे पहले CBI ने FIR दर्ज की थी और फिर ED ने अपनी जांच शुरू की. अप्रैल 2025 में गोयल और कुछ अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी हुई. फिर 16 मई को गोयल को उनके दिल्ली वाले घर से गिरफ्तार किया गया. 17 मई को उन्हें कोलकाता की PMLA कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 21 मई तक ED की कस्टडी में भेज दिया गया है.
काले धन का सफेद खेल
ED के अनुसार, गोयल को जो भी पैसे और सुविधाएं मिलीं, वो शेल कंपनियों और फर्जी लोगों के नाम से ट्रांसफर की गईं. इसका मकसद पैसे की असली पहचान छुपाना था. इन शेल कंपनियों के ज़रिए प्रॉपर्टीज खरीदी गईं और इन सबका असली मालिक खुद गोयल और उनके परिवार के लोग हैं. जांच में पता चला है कि इस पूरे सिस्टम में “layering” यानी जटिल लेनदेन के जरिए घोटाले को वैध दिखाने की कोशिश की गई.
CSPL का असली खेल और पहले की गिरफ़्तारी
आपको बता दें, दिसंबर 2024 में, CSPL के मुख्य प्रमोटर संजय सुरेका को भी ED ने गिरफ्तार किया था. फरवरी 2025 में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. अब तक ED इस केस में कुल मिलाकर 510 करोड़ की संपत्तियां अटैच कर चुकी है, ये संपत्तियां सुरेका और उनकी कंपनी की हैं.
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