चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ किया है कि यारलुंग जांगबो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी के मूल उद्यम स्त्रोत) के निचले इलाकों में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का निर्माण पूरी तरह से चीन की संप्रभुता के अंतर्गत है. चीन का कहना है कि यह परियोजना स्वच्छ ऊर्जा विकास को गति देने, स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन से सक्रिय रूप से निपटने के उद्देश्य से की जा रही है.
स्वच्छ ऊर्जा और स्थानीय विकास को मिलेगा बढ़ावा
चीन ने कहा कि यह परियोजना न केवल स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में देश की क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि इसके माध्यम से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन के स्तर में भी सुधार होगा. इससे रोजगार के नए अवसर बनेंगे और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी.
पर्यावरण संरक्षण को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता
चीन के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की योजना, डिजाइन और निर्माण सभी उच्चतम राष्ट्रीय औद्योगिक मानकों के तहत किए गए हैं. इसमें प्रकृति और पर्यावरण की हर तरह से सुरक्षा को विशेष महत्व दिया गया है. परियोजना को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों से दूर रखा गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि मूल पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया जाए.
आपदा प्रबंधन और नदी तंत्र की सुरक्षा में मददगार
चीन का दावा है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद यारलुंग जांगबो नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र में आपदाओं की रोकथाम और शमन में मदद मिलेगी. इसके चलते नदी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और किसी भी तरह का बुरा प्रभाव नीचे के इलाकों पर नहीं पड़ेगा.
सीमापार सहयोग और डाटा साझा करने की प्रतिबद्धता
चीन ने कहा है कि वह सीमापार नदियों के प्रबंधन में बेहद जिम्मेदारी के साथ काम करता है और उसके पास जलविद्युत परियोजनाओं को संचालित करने का व्यापक अनुभव है. प्रवक्ता ने बताया कि चीन, डाउनस्ट्रीम (नीचे की ओर बहने वाले) देशों के साथ हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने, बाढ़ नियंत्रण और आपदा कम करने के क्षेत्र में सहयोग कर रहा है. इस परियोजना को लेकर आवश्यक संवाद पहले ही इन देशों के साथ किया जा चुका है और भविष्य में यह सहयोग और भी मजबूत किया जाएगा, ताकि नदी घाटी के सभी लोगों को इसका सामूहिक फायदा मिल सके.