Pakistan: भारत ने मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर जोरदार हवाई हमला बोला है. इसके बाद पाकिस्तान के तेवर कुछ नर्म पड़ते नजर आ रहे हैं. इस हमले के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर भारत सीमा पर अपना अभियान रोक देता है, तो पाकिस्तान भी आगे कुछ कार्रवाई नहीं करने के लिए तैयार है. आज हम आपको इस खबर के जरिए ऐसे 5 बड़े कारण बताने जा रहे हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान भारत से टकराने से पहले दस बार सोचेगा.
भारतीय सेना का नहीं कोई मुकाबला
भारत कहने में नहीं करने में यकीन रखता है. अपने देश की सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए भारत डिफेंस सेक्टर को मजबूत बनाने पर जोर देता है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हाल ही में आई एक रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ कि सेना पर खर्च करने के मामले में भारत दुनिया में पांचवें नंबर है.
2024 में भारत ने 1.6 परसेंट की बढ़ोतरी करते हुए डिफेंस सेक्टर पर टोटल 86.1 अरब डॉलर (करीब 7,32,453 करोड़ रुपये) खर्च किए, जबकि इसके मुकाबले पाकिस्तान का अपने देश की सेना पर खर्च सिर्फ 10.2 बिलियन डॉलर (लगभग 2,85,397 करोड़ पाकिस्तानी रुपये) ही रहा.
पाकिस्तान की चरमराई अर्थव्यवस्था
भारत और पाकिस्तान दोनों की आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज इनकी आर्थिक स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर है. कंगाली से गुजर रहे पाकिस्तान की जीडीपी साल 2024 में जहां 374 बिलियन डॉलर रही. वहीं, भारत की जीडीपी 4.3 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है. IMF की एक नई डेटा के मुताबिक, भारत 2025 तक जापान जैसे देश को पीछे छोड़ते हुए चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. अभी भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है. भारत से आगे अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसे देश हैं. ऐसे में यह साफ है कि आर्थिक मोर्चे पर भी भारत पाकिस्तान से कहीं आगे है.
मुसीबत में नहीं मिल रही मदद
भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है, लेकिन इस पर अभी 9 मई को फैसला होना है. इस दौरान क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले 1.3 बिलियन डॉलर (करीब 11,000 करोड़ रुपये) पर रिव्यू मीटिंग होगी. इसके अलावा, पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत मिलने वाले 7 अरब डॉलर (59,000 करोड़ रुपये) की दूसरी किश्त की भी समीक्षा होनी है.
इसी के साथ पाकिस्तान मदद के लिए चीन के सामने भी गिड़गिड़ा रहा है. खुद पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान स्वैप समझौते के माध्यम से चीन से 10 अरब युआन (करीब 1.4 अरब डॉलर) की आर्थिक मदद मांगी है. हालांकि, इस पर भी चीन की तरफ से अभी तक कोई जवाब न आने की बात कही गई है.
पाकिस्तानी शेयर बाजार पस्त
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान के शेयर बाजार का हाल बेहाल है और अब तक ये 1100 अंकों पर फिसल चुका है. आज भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के बाद तो स्थिति और भी खराब हो गई. बेंचमार्क KSE-100 इंडेक्स आज के कारोबारी सेशन में 6,500 अंकों की भारी गिरावट के साथ कुछ ही घंटों में क्रैश हो गया. इसी के साथ केएसई इंडेक्स 1,07,007 के स्तर पर पहुंच गया. वहीं, भारतीय शेयर बाजार पर इन सबका कोई असर ही नहीं है. बुधवार को सेंसेक्स 80,000 अंक के ऊपर खुला और निफ्टी भी 24,300 के लेवल के करीब रहा.
IMF से मदद रूकने का डर
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को दूसरे देश कर्ज देने से बच रहे हैं कि कहीं अगर पाकिस्तान पर कोई एक्शन हो और वह आगे कर्ज न चुका पाए. ऐसे में पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद की आस है.
9 मई को पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक होगी और इस दौरान 7 बिलियन डॉलर के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम के जरिए पाकिस्तान को दिए जा रहे कर्ज की रिव्यू होगी. इसकी पहली किश्त पाकिस्तान को मिल चुकी है. बाकी 6 बिलियन डॉलर आने वाले 37 महीनों में दिए जाएंगे.
पाकिस्तान को आईएमएफ से 1.3 अरब डॉलर की भी मदद मिलने वाली है, लेकिन अगर पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की रडार पर आता है, तो IMF से मिलने वाली मदद रूक सकती है. ऐसे में कर्ज में डूबे पाकिस्तान को फिक्र है आगे उसका गुजारा कैसे होगा.
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