ये है दुनिया का सबसे ताकतवर हथियार! जानें किस तकनीक पर करता है काम?

ये है दुनिया का सबसे ताकतवर हथियार! जानें किस तकनीक पर करता है काम?


Tsar Bomba: दुनिया का सबसे शक्तिशाली और भयावह परमाणु हथियार—Tsar Bomba मानव इतिहास में तबाही का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. इसे सोवियत संघ (अब रूस) ने 1961 में विकसित किया था. इसका विस्फोट इतना जबरदस्त था कि इसके आगे नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम भी बौने लगते हैं.

Tsar Bomba क्या है?

Tsar Bomba (जिसे आधिकारिक रूप से RDS-220 कहा जाता है) एक हाइड्रोजन बम है, जिसे सोवियत संघ ने शीत युद्ध के दौरान विकसित किया था. इसे 30 अक्टूबर 1961 को आर्कटिक महासागर के नोवाया ज़ेमल्या द्वीप समूह पर परीक्षण के रूप में गिराया गया था. इसका वजन लगभग 27 टन था और लंबाई करीब 26 फीट थी. यह बम इतना विशाल था कि इसे TU-95 बॉम्बर विमान से गिराने के लिए विशेष रूप से संशोधित करना पड़ा.

कितनी ताकतवर थी Tsar Bomba?

Tsar Bomba की ताकत 50 मेगाटन TNT के बराबर थी जो कि हिरोशिमा पर गिराए गए बम से लगभग 3,300 गुना ज्यादा थी. शुरुआत में इसे 100 मेगाटन क्षमता के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन रेडिएशन प्रभाव को देखते हुए इसकी शक्ति को आधा कर दिया गया था. फिर भी, 50 मेगाटन का विस्फोट मानव इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा परमाणु विस्फोट माना जाता है.

इसका विस्फोट इतना भयंकर था कि लगभग 1000 किलोमीटर दूर तक इसकी धमक महसूस की गई. खिड़कियां 900 किलोमीटर दूर तक टूट गईं. मशरूम जैसे बादल की ऊंचाई 60 किलोमीटर तक पहुंच गई. ज़मीन से 55 किलोमीटर ऊपर हवा में ही बम को विस्फोटित किया गया ताकि ज़मीन पर नुकसान सीमित रहे.

किस तकनीक पर आधारित है Tsar Bomba?

Tsar Bomba एक थर्मोन्यूक्लियर बम है जो फ्यूजन (संलयन) तकनीक पर आधारित है. यह तकनीक दो मुख्य चरणों में काम करती है

फर्स्ट स्टेज (फिशन): इसमें यूरेनियम या प्लूटोनियम का विखंडन किया जाता है, जिससे अत्यधिक गर्मी और दबाव उत्पन्न होता है.

सेकेंड स्टेज (फ्यूजन): फिशन से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग हाइड्रोजन आइसोटोप (जैसे ड्युटीरियम और ट्रिटियम) को मिलाकर फ्यूजन रिएक्शन शुरू करने के लिए किया जाता है, जिससे अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है. Tsar Bomba के डिज़ाइन में तीन-चरणीय विस्फोट प्रणाली थी—फिशन, फ्यूजन और फिर फिशन लेकिन तीसरे चरण में यूरेनियम को हटाकर सीसा डाल दिया गया था ताकि रेडियोएक्टिव प्रदूषण कम हो.

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