<p style="text-align: justify;"><strong>Israel-Gaza Tension:</strong> अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक विवादास्पद दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका गाजा पर कब्जा कर लेगा और फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से वहां से ट्रांसफर कर देगा. हालांकि, गाजा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनियों ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया. फिलिस्तीनियों का स्पष्ट कहना है कि वे "कभी नहीं छोड़ेंगे, चाहे कुछ भी हो." उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि गाजा के निवासी अपने अधिकारों और भूमि के लिए मजबूती से खड़े हैं और किसी भी बाहरी दबाव के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने ट्रंप के बयान को आंशिक रूप से वापस लिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति का मतलब था कि मिस्र और जॉर्डन जैसे देश फिलिस्तीनी शरणार्थियों को "अस्थायी रूप से" स्वीकार करेंगे. यह स्पष्टीकरण फिलिस्तीनियों के उस डर को कम करने का प्रयास हो सकता है, जो ट्रंप के बयान के बाद सामने आया कि फिलिस्तीनियों को उनकी अपनी भूमि से हमेशा के लिए बेदखल किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस विवाद के बीच, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा कि अमेरिकी सेना गाजा में "सभी विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है." यह बयान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पेंटागन यात्रा के दौरान आया, जब वह अपनी वाशिंगटन यात्रा को जारी रख रहे थे. इस तरह के बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका और इजरायल गाजा में अपनी सैन्य नीतियों को लेकर चर्चा कर रहे हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चिंता का विषय है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस बीच, फिलिस्तीनियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति से बात करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा मुद्दे पर चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि गाजा पर समाधान खोजने की प्रक्रिया में "किसी भी प्रकार के जातीय सफाए से बचना आवश्यक है." गुटेरेस का यह बयान ऐसे समय आया है, जब गाजा पर जारी तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं बढ़ रही हैं, और समाधान की खोज में मानवाधिकारों का सम्मान आवश्यक है.</p>
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