India’s Wholesale Inflation: आम जनता के लिए ये राहत देनेवाली खबर है. देश में थोक महंगाई दर (Wholesale Price Index) घटकर 14 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई है. ये मई के महीने में 0.39 प्रतिशत रही, जबकि अप्रैल में थोक महंगाई दर 0.85 प्रतिशत थी. थोक महंगाई मई में 0.80 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था. खाद्य वस्तुएं सस्ती हो गई है. महीने के आधार पर अगर देखें तो मई में खाद्य महंगाई दर 2.55 प्रतिशत से कम होकर 1.72 प्रतिशत पर आ गई है. मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स थोक महंगाई दर 2.62 प्रतिशत से कम होकर 2.04 प्रतिशत रही. मैन्युफैक्चिंग WPI 2.62 प्रतिशत से कम होकर 2.04 प्रतिशत पर आ गया है तो वहीं आलू की थोक महंगाई -24.30 प्रतिशत से कम होकर -29.42 प्रतिशत पर आ गई है.
कम हुई थोक महंगाई
प्याज की थोक महंगाई 0.20 प्रतिशत से कम होकर -14.41 प्रतिशत पर रही. इसी तरह सब्जियों की महंगाई -18.26 प्रतिशत से कम होकर -21.62 प्रतिशत आ गई. जबकि मांस, मछली और अंडे का का WPI -0.29 प्रतिशत से कम होकर -1.01 प्रतिशत पर आ गया. ईंधन और पावर की थोक महंगाई दर -2.18 प्रतिशत से -2.27 प्रतिशत रही.
इससे पहले 12 जून को सरकार की तरफ से खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए गए थे. इसमें 2025 के मई महीने में भारत की खुदरा महंगाई कम होकर 2.82 प्रतिशत हो गई है. खुदरा महंगाई दर में कमी खाद्य पदार्थों में नरमी की वजह से देखने को मिल रही है. ये पिछले छह वर्षों के दौरान सबसे निम्न स्तर है. खुदरा महंगाई साल 2019 में 2.86 प्रतिशत थी. इस साल अगर खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल में ये 3.16 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में 3.34 प्रतिशत थी. ये खुदरा महंगाई दर पिछले सरसठ महीने में सबसे निम्न दर थी.
इधर, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय जीडीपी वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत के ग्रोथ रेट के साथ मजबूती से खड़ी है. जबकि सालाना जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत अनुमान से भी कहीं ज्यादा है. हालांकि, पिछले दो वर्षों के जीडीपी औसत ग्रोथ 8.4 प्रतिशत के मुकाबले यह कम है. लेकिन वित्त वर्ष 2026 के लिए ग्रोथ 6.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.