सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (26 मई, 2025) को रिलेशनशिप टूटने पर अपने पार्टनर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक्स गर्लफ्रेंड को खूब फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या प्रेमी जोड़े के बीच दूरी बन जाना आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं हो सकता और यह न सिर्फ अदालतों पर बोझ डालता है, बल्कि आरोपी के दामन को भी दागदार करता है. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से ऐसा नहीं लगता कि लड़के ने सिर्फ शादी का वादा किया और महिला की मर्जी के बगैर उससे शारीरिक संबंध बना लिए, जबकि वह पहले से किसी और के साथ विवाहित थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी जुलाई 2023 में महाराष्ट्र में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज करते हुए की. व्यक्ति पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने शादी का झूठा वादा कर एक महिला से बलात्कार किया था. जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि अगर प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को सही माना भी जाए, लेकिन रिकॉर्ड से ऐसा नहीं लगता है कि शिकायतकर्ता की सहमति उसकी इच्छा के विरुद्ध और केवल शादी करने के वादे पर ली गई थी.
बेंच ने कहा, ‘हमारे विचार से, यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें शुरूआत में शादी करने का झूठा वादा किया गया हो. सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या पार्टनर के बीच दूरियां आना, आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं हो सकता.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘इस तरह का आचरण न सिर्फ अदालतों पर बोझ डालता है, बल्कि ऐसे जघन्य अपराध के आरोपी व्यक्ति के दामन को दागदार भी करता है.’
बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ आगाह किया है और यह कहा है कि विवाह के वादे के हर उल्लंघन को झूठा वादा मानकर बलात्कार के अपराध में व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाना अविवेकपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के जून 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने सतारा में बलात्कार सहित कथित अपराधों के लिए उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की उसकी याचिका खारिज कर दी थी.
कोर्ट ने कहा कि यह मामला महिला की शिकायत पर दर्ज किया गया है, जिसने आरोप लगाया है कि जून 2022 से जुलाई 2023 के दौरान आरोपी ने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए. हालांकि, आरोपी ने आरोपों से इनकार किया था. बेंच ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसे अगस्त 2023 में मंजूर कर लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता जून 2022 से एक दूसरे से परिचित थे और उसने खुद स्वीकार किया कि वे अक्सर बातचीत करते थे और उन्हें प्रेम हो गया. पीठ ने कहा, ‘यह विश्वास करने लायक नहीं है कि शिकायतकर्ता ने विवाह का वादा कर अपीलकर्ता (आरोपी) के साथ शारीरिक संबंध बनाए, जबकि महिला पहले से ही किसी और से विवाहित थी.’
सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. बेंच ने कहा, ‘यह ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता की आयु मात्र 25 वर्ष है, न्याय के हित में यह होगा कि उसे आसन्न मुकदमे का सामना न करना पड़े और इसलिए कार्यवाही रद्द की जाती है.’
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