‘लोगों को मेरे बोलने से कष्ट होता है, इसलिए…’, RSS के दत्तात्रेय होसबोले ने क्यों कही ये बात?

‘लोगों को मेरे बोलने से कष्ट होता है, इसलिए…’, RSS के दत्तात्रेय होसबोले ने क्यों कही ये बात?


संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुवार (17 जुलाई) को राकेश मिश्र की किताब ‘समिधा’ का लोकार्पण किया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आज पर्यावरण गंभीर चुनौती है. पर्यावरण के दो प्रकार के प्रदूषण है, एक बाहर के और एक हमारे अंदर के. अहंकार और भ्रष्टता के साथ अपने को, समाज को, दूसरों को धोखा देने के ये प्रदूषण भी गंभीर हैं.

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “मैं बोलता रहता हूं तो लोगों को मेरे बोलने से कष्ट भी होता है. इसलिए मैंने भूपेंद्र जी से कहा आप थोड़ा ज्यादा समय तक बोलें. इस पुस्तक में भारत के लोकप्रिय वर्तमान प्रधानमंत्री के बारे में छह लेख हैं और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बार में भी छह लेख हैं और इन दोनों के प्रेरणा स्रोत रहें दीनदयाल जी को लेकर भी पांच लेख लिखे गए हैं. इनके अलावा, इस पुस्तक में सरदार पटेल, मदन दास, अमित शाह, महात्मा बुद्ध और धन्वंतरि के बारे में भी लेख हैं.” उन्होंने कहा, “राकेश जिस क्षेत्र में हैं उसमें और कुछ भी इच्छा है वो तो भूपेंद्र जी पर निर्भर है.

संघ के सरकार्यवाह ने आप्टे का किया जिक्र

दत्तात्रेय होसबोले ने आप्टे का जिक्र करते हुए कहा, “जब कार्यकर्ता को थोड़े समय के लिए भी याद करते हैं तो उनको लगता है हमारे संगठन के ऊपर के अधिकारी हमारा ध्यान रखते हैं, संगठन से हमने यही सीखा है. आज इसकी आवश्यकता है और हमेशा है. लोगों को अपने मित्र को गलत काम ना करे, इसलिए पाप करने से रोकना चाहिए, अच्छा काम क्या है उसे करने के लिए प्रेरित करना चाहिए.”

विचारों के द्वंद में दीपक दिखाने वाले थे आप्टे जी- होसबोले

संघ के सरकार्यवाह ने कहा, “हम जब संकट आया तो हाथ नहीं छोड़ते हैं. संगठन में कोई छोटा भी है तो उसके साथ बैठना चाहिए उसकी बात सुननी चाहिए. आप्टे जी छोटे कार्यकर्ताओं को भी पूछा करते थे, यदि वे खुद निर्णय लेकर चले जाते तो कौन मना करता. विचारों का द्वंद जब आता है तो दीपक दिखाने वाला कोई चाहिए, वो आप्टे जी करते थे.”

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि बाहर के मालिन्य है, उसको ठीक करने के लिए जीवन शैली को बदलना होगा. मनुष्य के अंदर के प्रदूषण हैं अहंकार और भ्रष्टता अपने को समाज को दूसरों को धोखा देने के ये प्रदूषण भी गंभीर हैं. मनुष्य को अपने को इनसे भी बचाना चाहिए. इसीलिए संघ ने पंच परिवर्तन शुरू किया. अब सिर्फ समारोह में बोलने से नहीं होगा, समाज जब करके दिखाएगा तब विश्व देखेगा.

यह भी पढ़ेंः बंगाल में चुनाव से पहले PM मोदी का दौरा, दुर्गापुर में रैली, 5 हजार करोड़ की परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *