वन बिग ब्यूटीफुल बिल लाकर ट्रंप ने अपने ही पैर पर मार ली कुल्हाड़ी, अब बीजिंग हो जाएगा सुपरपावर

वन बिग ब्यूटीफुल बिल लाकर ट्रंप ने अपने ही पैर पर मार ली कुल्हाड़ी, अब बीजिंग हो जाएगा सुपरपावर


Big Beautiful Bill: अमेरिका में इस समय वन बिग ब्यूटीफुल बिल की काफी चर्चा हो रही है. इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. गुरुवार की देर रात पास हुआ ये वो बिल है, जिसे अमेरिकी संसद में 218 सांसदों का समर्थन हासिल हुआ जबकि इसके विरोध में 214 वोट पड़े. इस बिल को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप और उनके खास लोगों में शुमार और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप के चुनाव प्रचार के पक्ष में पैसे खर्च करने वाले एलन मस्क के बीच बात बिगड़ गई. 

अमेरिका को क्या नुकसान?

आइये बताते हैं कि इस बिल को जहां ट्रंप अपने लिए बड़ी कामयाबी मान रहे हैं तो फिर ये उनके पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा क्यों है? दरअसल, इस बिल में कई ऐसे प्रावधान है, जिसमें एक तरफ जहां खर्च में कटौती की गई है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ सेक्टर में जमकर पैसा खर्च का प्रावधान है.

ट्रंप ने लगातार दावा किया है कि इस बिग ब्यूटीफुल बिल के जरिए वे अमेरिका को मजबूत करेंगे. लेकिन एक्सपर्ट्स का उनके इस दावे के विपरीत मानना है कि इस बिल से अमेरिका को नहीं बल्कि उनके घोर प्रतिद्वंद्वी और दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को फायदा होगा और वो इसके जरिए सुपरपवार बन जाएगा. यानी एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि ट्रंप ने ये बिल लाकर बड़ी गलती कर दी है.

कहां हुई ट्रंप से चूक?

दरअसल, एक तरफ चीन लगातार विंड ऊर्जा, सौर ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज के क्षेत्र में जबरदस्त तरीके से निवेश कर रहा है. वह इलेक्ट्रिक वाहनों, एआई और ग्रीन एनर्जी के सेक्टर में भी अमेरिका को पीछे छोड़ने की कोशिश में लगा है. इस बीच, राष्ट्रपति ट्रंप जो कानून लेकर आए हैं, उसके बाद अमेरिका की ऊर्जा सुरक्षा कमजोर पड़ जाएगा. इस नए कानून के बाद उसका विंड, सोलर और बैटरी जैसे ऊर्जा स्त्रोत कमजोर पड़ जाएगा.

यानी ऐसे समय में अमेरिका में इस सेक्टर में कमजोरी आएगी जब दुनियाभर में सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और एआई की एनर्जी खपत वाली दुनिया का उभार हो रहा है. टेस्ला की सीईओ एलन मस्क ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है. एनर्जी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कानून के अमल में आने से अब अमेरिका में आने वाले दिनों में बिजली की थोक कीमतें अगले 10 साल में 50 प्रतिशत तक बढ़ेगी. जबकि रिन्युएबल एनर्जी से जुड़ी नौकरियां अमेरिका में खत्म हो जाएगी.   

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