विपक्ष से दोस्ती? सरकार को किया इग्नोर? फिर इस्तीफा, उपराष्ट्रपति धनखड़ की इनसाइड स्टोरी

विपक्ष से दोस्ती? सरकार को किया इग्नोर? फिर इस्तीफा, उपराष्ट्रपति धनखड़ की इनसाइड स्टोरी


पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने कार्यकाल के दौरान काफी चर्चित रहे और उनका इस्तीफा भी सुर्खियों में है. धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई को संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन पद छोड़ने की घोषणा कर दी, लेकिन कहानी कुछ और ही सामने आयी है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि धनखड़ को केंद्र सरकार की तरफ से फोन आया था और इस दौरान उनकी बहस हो गई. इसी वजह से इस्तीफा देना पड़ गया.

दरअसल पूरी कहानी जस्टिस यशवंत वर्मा के आसपास ही बुनी गई है. आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक संसदीय कार्य मंत्री ने संसद सत्र शुरू होने से 4-5 दिन पहले उपराष्ट्रपति को सूचित कर दिया था कि सरकार लोकसभा और राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव ला रही है. सरकार ने लोकसभा में विपक्षी दलों को भी शामिल करके प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करवा लिए थे. इस बीच रविवार (20 जुलाई) और सोमवार (21 जुलाई) को विपक्ष के कुछ नेता उपराष्ट्रपति से मिलने पहुंचे और जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव लाने को लेकर चर्चा की.

क्या उपराष्ट्रपति ने केंद्र की अपील को कर दिया नजरअंदाज?

हालांकि धनखड़ ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि विपक्षी नेता प्रस्ताव लेकर आए थे. उन्होंने सोमवार सुबह प्रस्ताव को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया और सदन में घोषणा भी करने वाले थे. इस बीच सरकार ने धनखड़ से तीन बार संपर्क किया और प्रस्ताव को लेकर अपील की. सरकार ने कहा कि सभी के हस्ताक्षर जुटाए जा रहे हैं. इस दौरान जेपी नड्डा और धनखड़ की मुलाकात भी हुई, लेकिन धनखड़ ने सरकार को किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया. उन्होंने यह इशारा किया कि विपक्ष के हस्ताक्षरों वाले प्रस्ताव को सदन में पढ़ने वाले हैं.

सरकार और धनखड़ के बीच बढ़ गई थी दूरी?

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धनखड़ ने सोमवार को सीनियर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की और कई बार अपील किए जाने के बावजूद सरकार की बातों को नजरअंदाज कर दिया. यहां से धनखड़ और केंद्र के बीच दरार की स्थिति साफ हो गई. धनखड़ ने सरकार की ओर से किसी तरह की कार्रवाई होने से पहले ही इस्तीफे की योजना बना ली और राष्ट्रपति भवन पहुंच गए. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया.



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