अकबर ने मार्च 1573 में सूरत किले पर अधिकार कर लिया. इस जीत के बाद अकबर ने जश्न के दौरान खूब शराब पी. इस घटना जिक्र राहुल सांकृत्यान की किताब ‘अकबर’ में किया गया है. शराब पीने के दौरान अकबर ने अपनी तलवार दीवार में गाड़ दी और शराब के नशे में धुत होकर अपनी छाती से तलवार तोड़ने की कोशिश करने लगा. हालांकि, ऐसा देख राजा मानसिंह ने अकबर को रोकने की कोशिश की, लेकिन अकबर ने उन्हें धक्का दे दिया. जैसे ही अकबर तलवार से छाती टकराने वाला था, मानसिंह ने तलवार खींच ली, जिससे मुगल बादशाह टकरा कर गिर पड़ा और उसकी जान बच गई. जिसके बाद अकबर नाराज होकर मानसिंह का गला दबाने लगा. दरबारियों ने बीच-बचाव कर मान सिंह की जान बचाई.
इतिहासकारों के अनुसार, अकबर को सूखे नशे की भी लत थी. विन्सेंट स्मिथ लिखते हैं कि तैमूर लंग के वंश में शराबखोरी जन्मजात कमजोरी थी. अकबर का दादा बाबर और पिता हुमायूं भी नशे के आदी थे. अकबर के पुत्र मुराद और दानियाल की मौत भी अत्यधिक शराब पीने से हुई. ईसाई पादरी अक्विवा लिखते हैं कि अकबर इतनी शराब पीता था कि वह लोगों से बातें करते-करते सो जाता था.
अकबर स्त्री-प्रेम और हरम
अबुल फज़ल और ईसाई पादरी अफवाह के अनुसार अकबर का स्त्रियों और हरम के प्रति झुकाव भी गहरा था. महल के पास ही शराब की दुकान खुलवाई गई थी, जहां राज्यभर से वेश्याएं जमा होती थीं. अफवाह लिखते हैं कि अकबर ने स्त्रियों से संबंधों के लिए कई बार पादरियों की फटकार भी सुनी, लेकिन वह अपनी आदतों से बाज नहीं आया. इतिहासकार पी. एन. ओक के अनुसार, अकबर का जीवन नशे और स्त्री-प्रेम से गहराई तक जुड़ा रहा.
अकबर और मानसिंह प्रकरण
सूरत विजय के बाद अकबर की तरफ से की गई मानसिंह का गला दबाने की घटना, उसकी शराबी प्रवृत्ति और क्रोध का बड़ा उदाहरण है. अगर दरबारियों ने बीच-बचाव न किया होता तो मान सिंह की जान चली जाती. उस समय मान सिंह ही आमेर के कछवाहा वंश की रक्षा कर सकते थे, क्योंकि राजा भारमल बूढ़े थे और भगवानदास घायल अवस्था में थे. यह घटना साबित करती है कि अकबर की आदतें कभी-कभी उसके शासन और रिश्तों के लिए गंभीर संकट पैदा कर देती थीं.
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