‘संगीत बना साधना, संकल्प बना संदेश’, भूपेन हजारिका के जन्म शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी

‘संगीत बना साधना, संकल्प बना संदेश’, भूपेन हजारिका के जन्म शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (13 सितंबर, 2025) को मणिपुर दौरे के बाद असम पहुंचे. यहां पीएम ने गुवाहाटी में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित भूपेन हजारिका की 100वीं जयंती समारोह में भाग लिया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. हजारिका के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका संगीत ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा को समाहित करता है. 

पीएम मोदी ने कहा, ‘जो दृश्य यहां मैंने देखा, जो उत्साह और तालमेल मुझे दिखा, अगर मैं भूपेन दा के शब्दों में ही कहूं तो मन में बार-बार आ रहा था, ‘समय ओ धीरे चलो, समय ओ धीरे चलो’. अभी कुछ दिन पहले ही 8 सितंबर को भूपेन हजारिका जी का जन्मदिवस बीता है. उस दिन मैंने भूपेन दा को समर्पित एक लेख में अपनी भावनाएं व्यक्त की थी. मेरा सौभाग्य है कि उनके जन्मशताब्दी वर्ष के इस आयोजन में मुझे हिस्सा लेने का अवसर मिला है.

‘संगीत से भारत की भावनाओं को दी आवाज’

उन्होंने आगे कहा कि भूपेन दा को हम सभी प्यार से ‘सुधा कोंठो’ कहते थे. ये उन सुधा कोंठो का जन्म शताब्दी दिवस है, जिन्होंने भारत की भावनाओं को आवाज दिया, संगीत को संवेदना से जोड़ा और मां गंगा से मां भारती की करूणा को कह सुनाया. 

उन्होंने कहा, ‘आज भूपेन दा भले ही शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज लोगों को ऊर्जा देती है. उनके गीत भारत को एकता के सूत्र में पिरोते हैं. वह भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में रचे-बसे थे. उस समय एकजुट पूर्वोत्तर के लिए आवाज उठाई, जब क्षेत्र में हिंसा का दौर चरम पर था.’

हजारिका की याद में 100 रुपये का सिक्का जारी

उन्होंने कहा कि भूपेन हजारिका को ‘भारत रत्न’ से अंलकृत किया जाना पूरे पूर्वोत्तर के लिए सम्मान की बात है. इस मौके पर मोदी ने महान गायक के जीवन पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया. उन्होंने हजारिका की याद में 100 रुपये का विशेष सिक्का भी जारी किया. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं असम में भूपेन हजारिका के जन्म शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं.’

पीएम ने कहा कि भूपेन हजारिका जी ने जीवनभर संगीत की सेवा की है, संगीत जब साधना बनता है तो वो हमारी आत्मा को छुता है और जब संकल्प बनता है, जो समाज को नया रास्ता दिखाता है. भूपेन दा ने पूरे भारत का भ्रमण किया और फिर अमेरिका तक गए, लेकिन जीवन के पड़ाव में वो असम की धरती से सच्चे बेटे की तरह जुड़े रहे.

अरुणाचल प्रदेश से भी असम की तरह प्यार

उन्होंने आगे कहा, ‘भूपेन दा भारत की एकता और अखंडता के महान नायक थे. दशकों पहले जब नॉर्थ ईस्ट को हिंसा की आग में जलने के लिए छोड़ दिया गया था, तब भी वो भारत की एकता को आवाज देते रहे. भूपेन दा को अरुणाचल प्रदेश से भी असम की तरह ही काफी प्रेम था. हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न देकर पूर्वोत्तर का सम्मान किया.’

असम के विकास की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज असम तेज गति से विकास की ओर आगे बढ़ रहा है. विकास के हर आयाम में नए रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं. विकास की ये सिद्धियां भूपेन दा को सच्ची श्रद्धांजलि हैं. इस धरती का इतिहास, यहां के पर्व, संस्कृति, सुंदरता, दैवीय आभा और भारत माता की आन के लिए यहां के लोगों की ओर से दिए गए बलिदान अहम हैं. देश की पहली सुबह असम में ही होती है.

ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले पीएम मोदी?

ऑपरेशन सिंदूर की बात करते हुए पीएम ने कहा, ‘पाकिस्तान के मंसूबों को देश ने ऐसा जवाब दिया कि भारत की ताकत की गूंज पूरी दुनिया तक पहुंची. भारत का दुश्मन किसी भी कोने में सुरक्षित नहीं रहेगा. नया भारत किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान से समझौता नहीं करेगा.’

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