सरकारी स्कूलों में 16 लाख लड़कियों ने छोड़ी पढ़ाई, आज भी 43 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर नहीं

सरकारी स्कूलों में 16 लाख लड़कियों ने छोड़ी पढ़ाई, आज भी 43 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर नहीं


एक तरफ जहां सरकार इस बात का नारा देती है कि ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ वहीं दूसरी ओर एक साल में 16 लाख लड़कियों ने अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ दी हैं. शिक्षा मंत्रालय की शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए स्कूल नामांकन में गिरावट की सूचना दी है. देशभर में स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट आई है.

यह गिरावट एससी, एसटी, ओबीसी और लड़कियों के वर्ग में सबसे अधिक है. वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में स्कूली शिक्षा की विभिन्न श्रेणियों में यह गिरावट दर्ज की गई है. माध्यमिक के तहत कक्षा नौंवी से 12वीं में यह गिरावट 17 लाख से अधिक है. हालांकि, प्री-प्राइमरी के नामांकन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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37.45 लाख घट गए एडमिशन

शिक्षा मंत्रालय की एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यू-डीआइएसई प्लस) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है. इसके अनुसार, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र नामांकन में 37.45 लाख की गिरावट आई है. वर्ष 2023-24 में सकल नामांकन 24.80 करोड़ था. इससे पहले वर्ष 2022-23 में 25.17 करोड़ तो वर्ष 2021-22 में करीब 26.52 करोड़ था.

इस प्रकार वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में इस आंकड़े में 37.45 लाख की कमी दर्ज की गई है. हालांकि, प्रतिशत में यह आंकड़ा सिर्फ 1.5 है. इस दौरान दौरान छात्राओं की संख्या में 16 लाख की गिरावट आई, जबकि छात्रों की संख्या में 21 लाख की गिरावट आई. कुल नामांकन में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व लगभग 20 प्रतिशत था. अल्पसंख्यकों में 79.6 प्रतिशत मुस्लिम, 10 प्रतिशत ईसाई, 6.9 प्रतिशत सिख, 2.2 प्रतिशत बौद्ध, 1.3 प्रतिशत जैन और 0.1 प्रतिशत पारसी थे.

जातीय वर्गीकरण, फर्जी छात्रों की भी हुई पहचान 

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत 26.9 प्रतिशत छात्र सामान्य श्रेणी से, 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति से, 9.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति से और 45.2 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी से हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में स्कूलों, शिक्षकों और नामांकित छात्रों की उपलब्धता अलग-अलग है.

व्यक्तिगत डेटा से फर्जी छात्रों की पहचान और सरकार की योजनाओं का लाभ सही छात्रों तक पहुंचाने में मदद मिली. इससे सरकारी खर्च में बचत और बेहतर प्रबंधन संभव हुआ. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में उपलब्ध स्कूलों का प्रतिशत नामांकित छात्रों के प्रतिशत से अधिक है. जबकि, तेलंगाना, पंजाब, बंगाल, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में नामांकित छात्रों की तुलना में उपलब्ध स्कूलों का प्रतिशत काफी कम है, जो बुनियादी ढांचे के बेहतर उपयोग का संकेत देता है.

देश में आज भी 43 प्रतिशत स्कूल ऐसे जहां स्कूलों में कंप्यूटर नहीं 

शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में केवल 57 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर हैं, जबकि 53 प्रतिशत में इंटरनेट की सुविधा है. 90 प्रतिशत से अधिक स्कूल बिजली और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित हैं.

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