E-Zero FIR: भारत सरकार ने हाल ही में ई जीरो FIR के नाम से एक नई सर्विस शुरू की है. इसका मकसद साइबर सिक्योरिटी को मजबूत बनाना और बड़े साइबर फ्रॉड की जांच में तेजी लाना है. इस सिस्टम को फिलहाल दिल्ली में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. इसके तहत अगर 10 लाख रुपये से ज्यादा की ऑनलाइन ठगी की शिकायतें अपने आप ही एफआईआर में बदल जाएंगी. इस पहल के जरिए सरकार का मकसद साइबर अपराधियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करना और जांच में लगने वाले समय को कम करना है.
अपराधियों पर लगाम कसने में मिलेगी मदद
अब अगर हेल्पलाइन नंबर 1930 या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर 10 लाख रुपये से अधिक की साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें आईं, तो ये अपने आप ही FIR में बदल जाएंगी. इस नए सिस्टम को ई-जीरो एफआईआर के नाम से शुरू किया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इससे जांच और कार्रवाई दोनों में तेजी आएगी और अपराधियों को जल्दी पकड़ा जा सकेगा. आने वाले समय में इस सिस्टम को पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा. गृह मंत्री ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए लिखा है कि मोदी सरकार साइबर सिक्योर भारत की दिशा में तेजी से काम कर रही है. यह नई व्यवस्था साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभाएगी.
The MHA’s Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) introduced the new e-Zero FIR initiative to nab any criminal with unprecedented speed. Launched as a pilot project for Delhi, the new system will automatically convert cyber financial crimes filed at NCRP or 1930 to FIRs,…
— Amit Shah (@AmitShah) May 19, 2025
इस तरह से होगी कार्रवाई
एक अधिकारी ने बताया कि NCRP और 1930 पर दर्ज 10 लाख से अधिक की धोखाधड़ी की शिकायतें अब अपने आप ही जीरो एफआईआर में तब्दील हो जाएंगी. यह एफआईआर दिल्ली के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज होगी और फिर संबंधित एरिया के साइबर पुलिस स्टेशन को भेजी जाएगी.
शिकायतकर्ता को तीन दिन के भीतर संबंधित साइबर थाने में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में चेंज कराना होगा। इस पूरे प्रॉसेस में आई4सी (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र), दिल्ली पुलिस की ई-एफआईआर प्रणाली और एनसीआरबी के अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क को आपस में जोड़ा गया है.
यह पहल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173(1) और 1(ii) के तहत शुरू की गई है. दिल्ली पुलिस और I4C ने मिलकर यह नई व्यवस्था बनाई है ताकि पीड़ित व्यक्ति को उसका पैसा जल्दी वापस मिल सके और दोषियों को सख्त सजा मिले.
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