यदि आपको लग रहा है कि हर वर्ष स्कूल की फीस कुछ ज्यादा ही बढ़ रही है, तो ऐसा सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं. हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार देशभर के स्कूलों में फीस बड़ी तेजी से बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में देशभर के प्राइवेट स्कूलों ने फीस में 50 से 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है. इस बेतहाशा बढ़ोत्तरी ने मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ दी है.
यह सर्वे दिल्ली स्थित LocalCircles नाम की संस्था ने किया है, जिसमें देशभर के 300 से ज्यादा जिलों से 85,000 से अधिक अभिभावकों की राय ली गई. इसमें खुलासा हुआ कि ज्यादातर निजी स्कूल हर साल 10-15% तक फीस बढ़ा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इस दौरान कई स्कूलों ने बिल्डिंग फीस, टेक्नोलॉजी चार्ज, मेंटेनेंस फीस जैसे नए खर्चे भी जोड़ दिए, जो पहले कभी नहीं लिए जाते थे.
अभिभावकों का कहना है कि न तो पढ़ाई की क्वालिटी में कोई बड़ा सुधार दिख रहा है और न ही स्कूल की सुविधाओं में. इसके बावजूद फीस हर साल तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट में बताया गया कि 42% अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चों के स्कूलों में फीस में 50% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 26% लोगों ने कहा कि फीस 80% तक बढ़ गई है.
वसूले जा रहे रुपये
इस सर्वे में एक चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई कि बहुत से स्कूलों ने प्राइवेट ट्रांसपोर्ट, डिजिटल लर्निंग जैसी चीजों के नाम पर अलग से रुपये वसूलने शुरू कर दिए हैं. कोरोना के बाद जहां ऑनलाइन पढ़ाई एक मजबूरी बनी, वहीं कई स्कूलों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया.
मुनाफे का धंधा?
अब सवाल ये उठता है कि क्या शिक्षा भी सिर्फ एक मुनाफे का धंधा बनती जा रही है? सरकार ने जरूर कुछ नियम बनाए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इन पर सही से अमल नहीं हो पा रहा है. कई राज्यों में फीस नियंत्रण समिति तो बनी है, लेकिन उनकी भूमिका सिर्फ कागजों तक सीमित है.
रिपोर्ट के अनुसार अभिभावक सरकार से मांग कर रहे हैं कि एक राष्ट्रीय स्तर की नीति बने, जिससे स्कूलों की फीस पर लगाम लगाई जा सके और हर बच्चे को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुलभ हो सके.
यह भी पढ़ें:
कितनी है नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल की बेसिक सैलरी, मिलती हैं ये सुविधाएं
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI