भारत के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्वाइट रिवोल्यूशन हो रहा है, जो खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों की माताओं के बीच देखने को मिल रहा है. इस रिपोर्ट से ये साफ हुआ है कि जिस तरह से महिलाओं में शिक्षा का स्तर बढ़ा है उसका प्रभाव आज की जनरेशन पर पड़ रहा है. ऐसे में आज के दौर में स्कूल जाने वाले बच्चे बेहतर तरीके से पढ़ रहे हैं. वहीं उन्हें घर पर भी बेहतर शिक्षा उनकी माताओं द्वारा दी जा रही है जोकि खुद शिक्षित हैं.
महिलाओं में बढ़ी साक्षरता
ASER (Annual Status of Education Report) 2024 के अनुसार, पिछले आठ सालों में माताओं की शिक्षा स्तर में काफी बदलाव आया है. 2016 में 46.6% माताएं जिन्होंने कभी स्कूल नहीं जॉइन किया था, उनकी संख्या 2024 में घटकर 29.4% रह गई है. सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह बदलाव ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के सफल प्रयासों का नतीजा है, जो 2001-02 में शुरू किया गया था.
महिलाओं में बढ़ा 10वीं के बाद की पढ़ाई का स्तर
लेकिन यह बदलाव सिर्फ स्कूल जाने वाली माताओं की संख्या में नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा के स्तर में भी देखा गया है. 2016 में सिर्फ 9.2% माताओं ने 10वीं के बाद की पढ़ाई की थी, जो अब बढ़कर 2024 में 19.5% हो गई है.
राज्यों में केरल सबसे आगे है, जहां इस बदलाव की सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. 2016 में 40% माताएं 10वीं के बाद पढ़ाई कर रही थीं, और अब 2024 में यह संख्या बढ़कर 69.6% हो गई है. दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश है, जहां यह आंकड़ा 30.7% से बढ़कर 52.4% हो गया है. हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटका, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और पश्चिम बंगाल में भी 10% से अधिक बढ़ोतरी देखी गई है.
मध्यप्रदेश में महिलाओं में गिरा शिक्षा का स्तर
मध्यप्रदेश इस मामले में सबसे पीछे है, जहां सिर्फ 9.7% मांएं 10वीं के बाद पढ़ाई कर रही हैं, जबकि 2016 में यह आंकड़ा केवल 3.6% था.
स्कूल जाने वाले बच्चों के पिता के शिक्षा का स्तर भी गिरा
पिताओं की 10वीं के बाद की पढ़ाई में बढ़ोतरी थोड़ी कम रही है. 2016 में 17.4% पिताओं ने 10वीं के बाद पढ़ाई की थी, जो 2024 में बढ़कर 25% हो गई है. इस दौरान, मां और पिता के बीच शिक्षा के स्तर का अंतर भी घटा है. 2016 में पिता के मुकाबले 8% अधिक माताएं 10वीं के बाद पढ़ाई कर रही थीं, अब यह अंतर घटकर 5% रह गया है.
06 लाख से अधिक बच्चों का हुआ सर्वे
ASER एक ग्रामीण सर्वे है, जिसे NGO ‘प्रथम’ ने किया है, जिसमें 6,49,491 बच्चों के बेसिक रीडिंग लेवल्स का मूल्यांकन किया गया. इस रिपोर्ट में मां और पिता की शिक्षा के बारे में भी जानकारी इकट्ठी की जाती है.
माताओं की शिक्षा बच्चों पर डालती हैं असर
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आजकल की युवा माताओं ने उस समय स्कूल जाना शुरू किया जब ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत शिक्षा का स्तर और नामांकन बढ़ रहा था. इससे बच्चों की शिक्षा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इन आंकड़ों से यह साफ है कि जब मां अधिक शिक्षित होती है, तो इसके प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर भी अच्छे होते हैं. रिसर्च से यह साबित हुआ है कि माताओं की शिक्षा बच्चों की पढ़ाई और उनके परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती है.
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