Dark Pattern: सर्वे एजेंसी LocalCircles ने बुधवार को किए गए अपने एक सर्वे में पाया कि कई अलग-अलग सेक्टर के प्लेटफॉर्म्स कंज्यूमर बिहेवियर को बदलने के लिए डार्क पैटर्न का इस्तेमाल कर रहे हैं. सर्वे के मुताबिक, ट्रैवल, ई-कॉमर्स, क्विक कॉमर्स, ऑनलाइन बैंकिंग और पेमेंट, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, टैक्सी ऐप में सबसे ज्यादा डार्क पैटर्न के आने की सूचनाएं मिलीं.
इस तरह से झांसे में लिए जा रहे यूजर्स
डार्क पैटर्न अक्सर यूजर्स को ऐसे फैसले लेने के लिए मजबूर कर देता है, जिसे वह वास्तव में नहीं लेना चाहता है. इसके चलते आप मेंबरशिप के जाल में फंस सकते हैं, हिडेन चार्जेस या सब्सक्रिप्शन का शिकार हो सकते हैं. सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले डार्क पैटर्न में फोर्स्ड एक्शन या जबरन एक्शन लेने के लिए यूजर को मजबूर करना, सबसे ऊपर है. इसका इस्तेमाल 123 या 54 परसेंट प्लेटफॉर्म कर रहे हैं. इसमें आमतौर पर ट्रांजैक्शन के दौरान किसी ऐप को डाउनलोड करने या पर्सनल डिटेल देने का दबाव डाला जाता है.
धोखा देने की लगातार की जा रही कोशिश
दूसरे 109 प्लेटफॉर्म या 48 परसेंट ड्रिप प्राइसिंग का इस्तेमाल करते हुए पाए गए. इसे हिडेन चार्जेस के नाम से भी जाना जाता है. इसमें लेनदेन के बिल्कुल फाइनल स्टेप में कोई एक्स्ट्रा चार्ज जोड़ दिया जाता है. इसके अलावा, लगभग 76 (33 परसेंट) प्लेटफॉर्म यूजर को लालच देकर धोखा देने की कोशिश करते हैं, 74 (34 परसेंट) प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन ट्रैप का इस्तेमाल करते हैं, 58 (25 परसेंट) लोग इंटरफेस इंटरफेरेंस का इस्तेमाल करते हैं और 51 (22 परसेंट) प्लेटफॉर्म ‘कन्फर्म शेमिंग’ का इस्तेमाल करते हैं.
गाइडलाइंस का नहीं कोई असर
इन प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स को बार-बार एक ही चीज कहकर परेशान करने की स्ट्रैटेजी अपनाई जाती है या अनजाने में उन्हें फंसा लिया जाता है, यूजर्स को जबरदस्ती ऐसा महसूस कराया जाता है कि उन्हें किसी खास चीज की बहुत जरूरत हो या आगे पड़ सकती है, इसके अलावा, कई दूसरे पैंतरे भी अपनाए जाते हैं. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि रेगुलेटर्स की तरफ से तमाम गाइडलाइंस और प्रयासों के बावजूद डार्क पैटर्न के उपयोग में कोई कमी नहीं आई है.
इनमें डार्क पैटर्न का हो रहा इस्तेमाल
सेक्टर-वाइज बात करें, तो एडटेक, ऑनलाइन बैंकिंग और पेमेंट, ई-कॉमर्स, ओटीटी, ऐप टैक्सी, फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स, मेडिसिन और हेल्थ सर्विसेज, एयरलाइंस, मूवी/इवेंट टिकटिंग में सात या उससे अधिक डार्क पैटर्न पाए गए. टेलीकॉम, ऑनलाइन गेमिंग, डिजिटल लेंडिंग, वॉयस असिस्टेंट, ऑनलाइन बीमा और भर्ती/पेशेवर नेटवर्किंग में चार से छह डार्क पैटर्न के होने की रिपोर्ट मिली.
ट्रेन टिकटिंग, कार रेंटल, म्यूजिक स्ट्रीमिंग, मोबाइल डिवाइस, ऑनलाइन फाइनेंशियल ट्रेडिंग, और इलेक्ट्रिक स्कूटर में एक से तीन डार्क पैटर्न की पहचान की गई. 392 जिलों के 2.3 लाख से अधिक उपभोक्ताओं ने 228 भारतीय प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न के पाए जाने की बात कही.
ये भी पढ़ें:
क्या आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कोरोना को किया जा रहा कवर? वक्त रहते देख लें ये सारी चीजें