साल 2025-26 का बजट एक फरवरी 2025 को दिन के 11 बजे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश के सामने पेश करेंगी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक बजट ऐसा भी पेश किया गया था, जिसे पेश करने वाला शख्स बाद में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन गया था.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं भारत के 1946 के बजट के बारे में. इसे “पुअर मैन बजट” के नाम से जाना जाता है. हालांकि, उस वक्त के कुछ बड़े नेताओं और उद्योगपतियों ने इसे ‘हिंदू विरोधी बजट’ भी कहा था. यह बजट 2 फरवरी 1946 को लियाकत अली खान ने पेश किया था, जो उस समय की अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री थे. यह बजट भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालने वाला था और इसके पीछे कई विवाद भी थे.
लियाकत अली खान कौन थे
लियाकत अली खान, मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी सहयोगी थे और बाद में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ की थी, लेकिन बाद में वे मुस्लिम लीग में शामिल हो गए. जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ, तो उन्हें पंडित नेहरू की कैबिनेट में वित्त मंत्री का पद सौंपा गया. उनका बजट पेश करना एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि यह स्वतंत्रता से पहले का अंतिम बजट था.
बजट की बड़ी बातें
लियाकत अली खान ने इस बजट को “सोशलिस्ट बजट” के रूप में पेश किया. इसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल थे. जैसे- लियाकत अली खान ने व्यापारियों पर एक लाख रुपये के कुल मुनाफे पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा. इसके अलावा, कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना करने का भी सुझाव दिया गया. इस बजट में सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर जोर दिया गया. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक फंड आवंटित करने की बात कही गई. लियाकत अली खान ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाएं पेश कीं, लेकिन उद्योगपतियों ने इन प्रस्तावों का विरोध किया.
बजट पर विवाद भी हुआ
लियाकत अली खान के बजट को लेकर कई विवाद भी हुए. उनके इस बजट को “हिंदू विरोधी बजट” कहा गया क्योंकि उनके प्रस्तावों से हिंदू व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया. कई बड़े नेताओं ने आरोप लगाया कि लियाकत अली खान जानबूझकर हिंदू उद्योगपतियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. इस बजट के खिलाफ व्यापारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किए. उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला और जमनालाल बजाज जैसे प्रमुख व्यक्तियों ने इस बजट की कठोरता से निंदा की. उनके अनुसार, यह बजट भारतीय उद्योगों के विकास में बाधा डालने वाला था.
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