India US Trade Deal: अमेरिका की तरफ से टैरिफ लागू करने की समय-सीमा अब नजदीक आ चुकी है. एक अगस्त को यह दुनियाभर के उन देशों के ऊपर लागू हो जाएगा, जिन्होंने अमेरिका के साथ किसी तरह की अलग से डील नहीं की है. हाल में ब्रिटेन-जापान समेत कई देशों ने अमेरिका के साथ ट्रेड डील का ऐलान किया है. भारत के साथ भी करीब एक महीने से ट्रेड डील के पर व्यापक विमर्श चल रहा है, लेकिन इस पर कोई सकारात्मक नतीजा अब तक नहीं निकल पाया है.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर कहां पेंच फंस गया? वो कौन सी अमेरिका की मांग है, जिस पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन रही है? आइए, विस्तार से जानते हैं कि स्थिति क्या है:
भारत-यूएस ट्रेड डील में क्यों देरी?
दरअसल, सीएनबीसी को दिए एक इंटव्यू में अमेरिकी ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जैमीसन ग्रीर ने बताया कि दोनों ही देशों को ट्रेड डील पर अभी और बातचीत की जरूरत है, क्योंकि यह अभी पूरी नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा कि भारत-यूएस ट्रेड डील बेहद करीब लग रहा हो, लेकिन भारत की पारंपरिक बाजार संरक्षणवादी नीति के चलते यह इतना आसान नहीं है. ग्रीर का कहना है कि कुछ सेक्टर में भारत ने अपना बाजार खोलने में भारत ने दिलचस्पी तो दिखाई है लेकिन अब ये आगे देखना होगा कि इस समझौते के लिए भारत किस तरह से और आगे बढ़ने को तैयार है.
दूसरी तरफ केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यूएस के साथ तेजी से ट्रेड डील पर भारत आगे बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि यूएस की टीम अगस्त में भारत आएगी और प्रस्तावित व्यापार समझौते अगले दौर की बातचीत होगी.
कहां नहीं बन रही सहमति?
भारत और यूएस ट्रेड डील में देरी की एक वजह एल्यिमिनियम और तांबा पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए उच्च टैरिफ की दरें है. भारत एक तरफ जहां स्टील और एल्युमिनियम पर लगे पचास प्रतिशत टैरिफ और ऑटो सेक्टर में लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ से राहत चाहता है. वहीं डेयरी और कृषि उत्पादों पर भारत अमेरिका को कस्टम ड्यूटी में छूट देने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इसका सीधा असर डेयरी सेक्टर पर पड़ेगा. किसानों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
इसके साथ ही केला, झींगा मछली, जूते-चप्पल, प्लास्टिक और हस्तशिल्प जैसी चीजों पर भारत चाहता है कि अमेरिका टैरिफ की दरें कम करे. वहीं अमेरिका भी भारत के ऊपर पेट्रोकैमिकल्स, डेयरी आइटम्स, ड्राई फ्रूट्स, गाड़ियां और औद्योगिक सामानों को ऊपर टैरिफ कम करने का दबाव बना रहा है.
साल 2024 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 129.2 बिलियन डॉलर का हुआ है. इनमें से अमेरिकी का तरफ से भारत में 41.8 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया गया जबकि भारत की तरफ से अमेरिका में 87.4 बिलियन डॉलर का निर्यात अमेरिका को किया गया. ऐसे में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा पिछले साल 45.7 बिलियन डॉलर का रहा.