‘3 इडियट्स’ फेम स्कूल को दो दशक बाद मिली बड़ी सफलता, CBSE से मिली मान्यता

‘3 इडियट्स’ फेम स्कूल को दो दशक बाद मिली बड़ी सफलता, CBSE से मिली मान्यता


आमिर खान की फिल्म ‘3 इडियट्स’ तो ज्यादातर सभी ने देखी होगी. इस स्कूल में दिखाया गया स्कूल भी सबको याद होगा. अब इस स्कूल ने खास उपलब्धि हासिल की है. जिस स्कूल ने ‘3 इडियट्स’ फिल्म के जरिए लाखों दिलों में जगह बनाई थी, उसे अब सीबीएसई से मान्यता मिल चुकी है.

लेह के ठंडे रेगिस्तान में बसे ड्रुक पद्मा करपो स्कूल को आखिरकार CBSE की मान्यता मिल गई है. करीब 24 सालों के लंबे इंतजार के बाद इस स्कूल ने ये ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है, जो अब यहां के छात्रों के भविष्य को नई उड़ान देगा.

ड्रुक पद्मा करपो स्कूल का नाम महान विद्वान मिफाम पेमा कार्पो (1527-1592) के सम्मान में रखा गया है. ‘पद्मा कार्पो’ का अर्थ स्थानीय भाषा बोथी में ‘सफेद कमल’ होता है. अपनी खास शिक्षण पद्धति और ठंडी रेगिस्तानी पृष्ठभूमि में शिक्षा के प्रति समर्पण के कारण यह स्कूल पहले से ही एक मिसाल रहा है.

अब मिली CBSE की मंजूरी

अब तक यह स्कूल जम्मू-कश्मीर राज्य शिक्षा बोर्ड (JKBOSE) से मान्यता प्राप्त था. कई बार CBSE से मान्यता के लिए आवेदन करने के बावजूद, ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) न मिलने के कारण प्रक्रिया अधूरी रह गई थी. स्कूल की प्राचार्या मिंगुर अंगमो ने बताया कि उनके पास सभी जरूरी सुविधाएं पहले से थीं, फिर भी एनओसी की देरी से मंजूरी में वक्त लगा. लेकिन अब, CBSE से मान्यता मिल जाने के बाद छात्र आसानी से देशभर में उच्च शिक्षा के अवसर तलाश सकेंगे.

नवाचार आधारित शिक्षा प्रणाली से होगा तालमेल

ड्रुक पद्मा करपो स्कूल की शिक्षा प्रणाली पहले से ही रटंत पढ़ाई से अलग, खेल और नवाचार आधारित रही है. स्कूल की शिक्षण पद्धति नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप है, इसलिए CBSE पाठ्यक्रम में बदलावों के साथ स्कूल को खुद को ढालने में कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी.

क्लास 12वीं तक पढ़ाई की योजना

स्कूल प्रशासन अब 2028 तक कक्षा 11वीं और 12वीं शुरू करने की योजना बना रहा है. इसके लिए शिक्षकों के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए जा चुके हैं, ताकि छात्रों का शैक्षणिक सफर और भी सुगम हो सके.

‘3 इडियट्स’ फिल्म ने दिलाई थी वैश्विक पहचान

‘3 इडियट्स’ फिल्म के एक यादगार सीन के चलते यह स्कूल दुनियाभर में मशहूर हो गया था. आज भी यहां आने वाले सैलानी उस ‘आइकोनिक वॉल’ के साथ तस्वीरें लेना नहीं भूलते. हालांकि छात्रों के पढ़ाई में खलल न हो, इसलिए 2018 में दीवार को स्कूल से अलग स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया.

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