Eid 2025: ईद-उल-फितर, जिसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह रमजान के पवित्र महीने के समापन पर मनाया जाता है. इस त्योहार की तारीख चांद के दिखाई देने पर निर्भर करती है.
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है. चांद दिखने की स्थिति के आधार पर ही ईद की तिथि तय की जाती है. अगर 30 मार्च 2025 की रात को चांद दिखाई देता है, तो ईद 31 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। वहीं, अगर चांद 31 मार्च 2025 को नजर आता है, तो ईद 1 अप्रैल 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी. इसी वजह से ईद-उल-फितर की सही तारीख का निर्धारण चांद के दिखने के बाद ही होता है.
दुनिया भर में शुरू हुई तैयारी
सऊदी अरब, यूएई, कतर और कुवैत सहित मध्य पूर्व के देश साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे पश्चिमी देशों ने 29 मार्च को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि इस दिन ईद का चांद दिख सकता है. अगर इस दिन चांद दिख जाता है तो 30 मार्च को ईद मनाई जाएगी.
ईद-उल-फ़ितर की छुट्टियां
दुनिया भर की विभिन्न सरकारों ने ईद-उल-फितर के अवसर पर विशेष छुट्टियों की घोषणा की है, ताकि लोग अपने परिवारों के साथ मिलकर इस पावन त्योहार का आनंद उठा सकें.
सऊदी अरब ने 30 मार्च से 2 अप्रैल तक चार दिनों की आधिकारिक छुट्टी घोषित की है. कामकाज 3 अप्रैल से फिर शुरू होगा। यदि इसे शुक्रवार-शनिवार के साप्ताहिक अवकाश से जोड़ दिया जाए, तो निजी क्षेत्र के कर्मचारी कुल छह दिनों की छुट्टी का लाभ उठा सकते हैं.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शव्वाल 1 से 3 तक तीन दिनों की छुट्टी की पुष्टि की है. यदि रमजान 30 दिनों तक चलता है, तो एक अतिरिक्त अवकाश भी दिया जाएगा.
कुवैत ने लचीली छुट्टियों की व्यवस्था की है-यदि ईद 30 मार्च को पड़ती है, तो तीन दिन की छुट्टी होगी, जबकि यदि ईद 31 मार्च को मनाई जाती है, तो कुल नौ दिन की छुट्टी मिलेगी.
कतर और बहरीन सहित अन्य खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों ने भी तीन से छह दिनों तक की छुट्टियों की घोषणा की है.
ईद-उल-फितर का है विशेष महत्व
इस्लाम धर्म में ईद-उल-फितर का विशेष महत्व है. रमजान के पवित्र महीने में रोजे रखे जाते हैं. आमतौर पर यह महीना 30 दिनों का होता है, जिसकी शुरुआत और समाप्ति चांद के दीदार के साथ होती है.
रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. रोजे के दौरान वे अन्न और जल का सेवन नहीं करते. रोजा की शुरुआत सुबह की शहरी से होती है और इसका समापन शाम की इफ्तारी के साथ किया जाता है.