4 दिन, 23 घंटे और 34 मिनट बाद मलबे से जिंदा निकला शख्स, म्यांमार भूकंप के बाद करिश्मा!

4 दिन, 23 घंटे और 34 मिनट बाद मलबे से जिंदा निकला शख्स, म्यांमार भूकंप के बाद करिश्मा!


Myanmar Earthquake Latest Update: म्यांमार के नेपीडॉ में बुधवार को एक ढही हुई होटल की इमारत के मलबे से 26 साल के एक होटल कर्मचारी को बचा लिया गया. राज्य प्रशासन परिषद की सूचना टीम के मुताबिक, देश में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के पांच दिन बाद व्यक्ति को बचाया गया.

मलबे में अभी भी फंसे हुए हैं लोग

सूचना टीम ने बताया कि मलबे में दो लोग फंसे हुए थे. म्यांमार अग्निशमन सेवा विभाग और तुर्की की बचाव टीमों ने एक व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. होटल में अभियान मंगलवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब 3:00 बजे शुरू हुआ और बुधवार को स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 00:30 बजे व्यक्ति को बचा लिया गया. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, फंसे हुए बाकी लोगों को खोजने और बचाने के प्रयास जारी हैं.

भूकंप के कारण हजारों लोगों की मौत

भूकंप में मृतकों की संख्या बढ़कर 2,719 हो गई, लगभग 4,521 लोग घायल हुए और 441 अभी भी लापता हैं. प्रधानमंत्री मिन आंग ह्लाइंग ने यह जानकारी दी. इस बीच, म्यांमार के जुंटा के प्रमुख आंग ह्लाइंग ने जातीय सशस्त्र संगठनों (ईएओ) के युद्ध विराम प्रस्तावों को खारिज कर दिया और सैन्य अभियान जारी रखने की घोषणा की. ह्लाइंग ने मंगलवार को कहा, “कुछ जातीय सशस्त्र समूह अभी सक्रिय रूप से लड़ाई में शामिल नहीं हो रहे, लेकिन वे हमलों की तैयारी के लिए इकट्ठा हो रहे हैं और प्रशिक्षण ले रहे हैं. चूंकि यह आक्रामकता का एक रूप है, इसलिए सेना जरूरी रक्षा अभियान जारी रखेगी.”

और ज्यादा जटिल हो गई मानवीय प्रतिक्रिया 

म्यांमार नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे वक्त में जब वैश्विक ध्यान भूकंप के विनाश और मानवीय सहायता भेजने पर केंद्रित है, म्यांमार की सेना ने देश भर में प्रतिरोधी समूहों के खिलाफ अपने हमले जारी रखे हैं. हमलों पर चिंता जताते हुए, अमेरिका स्थित एडवोकेसी ग्रुप ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को कहा कि म्यांमार की सैन्य सरकार को भूकंप पीड़ितों के लिए मानवीय सहायता तक तत्काल, निर्बाध पहुंच की अनुमति देनी चाहिए और आपातकालीन प्रतिक्रिया में बाधा डालने वाले प्रतिबंधों को हटाना चाहिए.

वकालत समूह के अनुसार, 28 मार्च को क्षेत्र में आए भूकंप के बाद से, सेना ने हवाई हमले किए और गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच सीमित कर दी, जिससे मानवीय प्रतिक्रिया और ज्यादा जटिल हो गई.

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