543 में से 251 सांसदों पर क्रिमिनल केस, सबसे पढ़े लिखे राज्य के 95 फीसदी MP दागी

543 में से 251 सांसदों पर क्रिमिनल केस, सबसे पढ़े लिखे राज्य के 95 फीसदी MP दागी



<p style="text-align: justify;" data-pm-slice="1 1 []"><strong>Political Corruption:&nbsp;</strong>सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (10 फरवरी) को पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 543 लोकसभा सांसदों में से 251 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 170 सांसदों पर ऐसे गंभीर अपराधों के मामले हैं जिनमें पांच साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है. ये जानकारी एमिकस क्यूरी और सीनियर अधिवक्ता विजय हंसारिया ने अलग-अलग हाई कोर्ट से जुटाए गए डेटा के आधार पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ को दी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>किन राज्यों में कितने सांसदों पर केस?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट के अनुसार केरल के 20 में से 19 (95%) सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 11 गंभीर अपराधों से जुड़े हैं. तेलंगाना के 17 में से 14 (82%), ओडिशा के 21 में से 16 (76%), झारखंड के 14 में से 10 (71%) और तमिलनाडु के 39 में से 26 (67%) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं. वहीं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में लगभग 50% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">दूसरी ओर हरियाणा (10 सांसद) और छत्तीसगढ़ (11 सांसद) में केवल एक-एक सांसद पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. पंजाब के 13 में से 2, असम के 14 में से 3, दिल्ली के 7 में से 3, राजस्थान के 25 में से 4, गुजरात के 25 में से 5 और मध्य प्रदेश के 29 में से 9 सांसदों पर आपराधिक मामले लंबित हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दशकों से लंबित केस, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हंसारिया ने अदालत को बताया कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि वे सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए विशेष पीठ का गठन करें, लेकिन अब भी कई राज्यों में ऐसे विशेष न्यायालयों का गठन नहीं किया गया है जिसकी वजह से कई मुकदमे दशकों से लंबित पड़े हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में लंबित</strong></p>
<p style="text-align: justify;">1 जनवरी 2025 तक वर्तमान या पूर्व विधायकों के खिलाफ कुल 4,732 आपराधिक मामले लंबित थे. इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 1,171 मामले दर्ज हैं. बाकी राज्यों में ओडिशा (457), बिहार (448), महाराष्ट्र (442), मध्य प्रदेश (326), केरल (315), तेलंगाना (313), कर्नाटक (255), तमिलनाडु (220), झारखंड (133) और दिल्ली (124) में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">कुल 4,732 मामलों में से 863 मामले ऐसे हैं जिनमें वर्तमान या पूर्व विधायकों पर धारा 144 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. हिमाचल प्रदेश में ऐसे 307, बिहार में 175, तेलंगाना में 112 और महाराष्ट्र में 96 मामले दर्ज हैं, जबकि दिल्ली में केवल 4 मामले दर्ज किए गए हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सांसद-विधायकों के केस में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हंसारिया ने अदालत को बताया कि कई मामलों में लगातार स्थगन, आरोपियों की अदालत में अनुपस्थिति और विशेष न्यायालयों पर अन्य अतिरिक्त जिम्मेदारियों की वजह से &nbsp;ट्रायल में देरी हो रही है. इस पर न्यायमूर्ति दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि चूंकि ये मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ की ओर से पारित आदेश से संबंधित है इसलिए इसे समान संख्या की पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए. अदालत ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश को भेजते हुए उचित पीठ गठित करने की सिफारिश की है.</p>
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