Varicella-Zoster Virus: हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि हमारे शरीर में एक ऐसा वायरस छिपा हो सकता है, जो उम्र बढ़ने के साथ खतरनाक रूप ले सकता है. Varicella-Zoster नामक वायरस, जो कभी बचपन में चिकनपॉक्स का कारण बना था, अब निष्क्रिय अवस्था में हमारे शरीर में मौजूद रहता है.
यह वही वायरस है जो बचपन में चिकनपॉक्स का कारण बनता है. यह वायरस नर्वस सिस्टम में डिएक्टिवेट रहता है, लेकिन उम्र बढ़ने और इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर यह फिर से एक्टिव हो सकता है और शिंगल्स नामक बीमारी पैदा कर सकता है.
शिंगल्स के लक्षण और संभावित खतरे
शिंगल्स से पीड़ित व्यक्ति को त्वचा पर लाल चकत्ते और फफोले हो सकते हैं. इसके अलावा, तेज जलन, झनझनाहट, और पोस्ट हेर्पेटिक न्यूरेलेजिया (PHN) जैसे दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं. कुछ मामलों में, यह वायरस आंखों में फैल सकता है, जिससे आंखों की रोशनी तक जा सकती है. इसके साथ ही, शिंगल्स से पीड़ित व्यक्तियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी अधिक रहता है.
भारतीयों में जागरूकता की कमी
GSK की तरफ से किए गए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया कि 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 90 फीसदी भारतीयों में यह वायरस मौजूद है, लेकिन 56.6 फीसदी लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसके अलावा, 61 फीसदी भारतीय पहले से ही डायबिटीज, दिल की बीमारी, अस्थमा, और किडनी रोग जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, लेकिन केवल 49.8 फीसदी लोग शिंगल्स को लेकर चिंतित हैं.
शिंगल्स से बचाव कैसे करें?
शिंगल्स से बचने के लिए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेगुलर बॉडी टेस्ट और सही लाइफस्टाइल अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. इसके लिए 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को शिंगल्स वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है.
उम्र बढ़ने के बावजूद आत्मविश्वास कायम
हालांकि शिंगल्स को लेकर जागरूकता कम है, लेकिन सर्वे में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि 55.7 फीसदी भारतीय खुद को अपनी उम्र से कम महसूस करते हैं. 24 फीसदी लोग तो यह मानते हैं कि वे खुद को कम से कम 10 साल छोटा महसूस करते हैं. हालांकि, केवल 25 फीसदी भारतीय ही बीमारियों से बचाव के लिए कोई कदम उठाते हैं.
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