Sundar Pichai Net Worth: शेयर बाजार में गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक के शेयरों में आई लगातार तेजी से न केवल निवेशकों को मुनाफा हुआ, बल्कि इससे कंपनी के सीईओ सुंदर पिचई के नेटवर्थ में भी जबरदस्त उछाल आया, जो अब 1 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक, मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले 53 साल के पिचई की संपत्ति अब 1.1 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है.
अल्फाबेट में पिचई की महज 0.02 परसेंट की हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत लगभग 440 मिलियन डॉलर है. उनकी बाकी संपत्ति अधिकतर नकद में हैं. बीते दस सालों में उन्होंने 650 मिलियन डॉलर से ज्यादा मूल्य के शेयर बेचे हैं. ब्लूमबर्ग का अनुमान है कि अगर उन्होंने अपने सभी शेयर अपने पास रखे होते, तो उनकी होल्डिंग्स की कीमत अब 2.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा होती.
कंपनी ने AI पर किया फोकस
अल्फाबेट के स्टॉक ने साल 2023 की शुरुआत से ही रफ्तार पकड़ी है. इसकी मार्केट वैल्यू 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई है. कंपनी ने निवेशकों को 120 परसेंट का भारी-भरकम रिटर्न भी दिया है. अक्टूबर 2024 में ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में पिचई ने कहा था, सीईओ बनने के बाद जो पहली चीजें मैंने कीं, उनमें से एक एआई पर फोकस करना रहा. पिचई की अगुवाई में कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अपना निवेश बढ़ाया है. कंपनी का कहना है कि AI की बदौलत उनके हर बिजनेस को फायदा पहुंचा है.
AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर कंपनी दे रही जोर
2014 में ब्रिटेन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप डीपमाइंड को 400 मिलियन पाउंड में गूगल के खरीदे जाने के बाद कंपनी में निवेश में तेजी देखी गई. पिछले साल ही अल्फाबेट ने AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 50 अरब डॉलर खर्च किए. जुलाई 2025 में जारी कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे अनुमान से कहीं ज्यादा रहे. इसके बाद अल्फाबेट के शेयरों में 4.1 परसेंट का उछाल आया. कंपनी ने रिसर्च और डेवलपमेंट पर भी अपना खर्च 16 परसेंट तक बढ़ा दिया है. इसे लेकर पिचई ने कहा था, क्लाउड कस्टमर्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए हमने AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश को जरूरी समझा.
कठिनाई में गुजरे शुरुआती दिन
सुंदर पिचई का जन्म 12 जुलाई 1972 में चेन्नई में हुआ था. उनके पिता पेशे से इंजीनियर थे. शुरुआती दिनों में उनका परिवार दो कमरों के एक फ्लैट में रहता था. उनके पास न कोई कार थी और न टीवी. पिचई की पढ़ाई के लिए अलग से कोई कमरा नहीं था. बावजूद इसके महज 17 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया. 1993 में उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली. अमेरिका जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट खरीदने में उनके माता-पिता ने 1000 डॉलर से ज्यादा खर्च कर दिए, जो उनके पिता की सालाना आमदनी से कहीं ज्यादा थी.
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