प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपये के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी से जुड़े 40-50 ठिकानों पर छापामारी की. ईडी का कहना है कि लोन के रूप में मिले इन पैसों को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की दूसरी कंपनियों में डायवर्ट किया गया है.
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत की गई ये तलाशी सीबीआई की तरफ से दर्ज दो एफआईआर के बाद और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) की दी गई जानकारी पर आधार पर की गई. ईडी की जांच में बैंक के कुछ बड़े अधिकारी व प्रमोटर को भारी-भरकम लोन मंजूर किए जाने की एवज में रिश्वत देने का भी खुलासा हुआ है.
जांच में ईडी ने यस बैंक के लोन अप्रूवल प्रॉसेस में भी गड़बड़ी होने का जिक्र किया है, जिनमें बैक-डेटेड क्रेडिट डॉक्यूमेंट, अप्रूवल के पहले से लोन क्रेडिट कर दिया जाना, कमजोर वित्तीय और सामान्य निर्देशकों वाली फार्मो को भी लोन देना शामिल है.
अनिल अंबानी की कंपनी से उठा निवेशकों का भरोसा
ईडी की इस जांच के दायरे में 50 से ज्यादा कंपनी और 25 अधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा, सेबी ने अलग से रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से जुड़ी कई जानकारी दी और साथ में बताया कि कंपनी का कॉरपोरेट लोन बुक एक साल के भीतर ही दोगुनी से अधिक हो गई है. इधर, इन सबके चलते अनिल अंबानी की कंपनियों के प्रति निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है, जिससे रिलायंस इंफ्रा और रिलायंस पावर दोनों के शेयरों में बिकवाली देखी जा रही है.
ये भी पढ़ें:
उधर ED ने की छापामारी, इधर लुढ़क गए रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा के शेयर; कंपनी ने दी सफाई