अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील के बावजूद सऊदी अरब ने इजरायल को THAAD एयर डिफेंस इंटरसेप्टर देने से इनकार कर दिया. मिडिल ईस्ट से आई रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, जून में ईरान की ओर से इजरायल पर जबर्दस्त मिसाइल हमले हुए, जिससे इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम कमजोर पड़ने लगा. अमेरिका को अंदेशा था कि इससे उनके पास मौजूद इंटरसेप्टर्स की संख्या भी खतरनाक रूप से घट सकती है. ऐसे में अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों से मदद मांगी. खासतौर पर सऊदी अरब से, जो THAAD सिस्टम खरीद चुका है.
अमेरिका ने सऊदी से की ये अपील
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने सऊदी से THAAD इंटरसेप्टर साझा करने को कहा, लेकिन रियाद ने साफ तौर पर मना कर दिया. अमेरिकी अधिकारियों ने Middle East Eye को बताया कि उन्होंने कई देशों से मदद मांगी थी, लेकिन सऊदी अरब मदद के लिए सबसे उपयुक्त था. 3 जुलाई को सऊदी अरब ने अपनी पहली THAAD बैटरी आधिकारिक रूप से चालू कर दी. यह वही सिस्टम है जिसे उसने खुद खरीदा था. यह बैटरी उस वक्त शुरू की गई जब इजरायल और ईरान के बीच युद्ध विराम लागू हुआ था.
संकट के दौरान अमेरिका ने UAE से भी इंटरसेप्टर मांगे थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उसने इजरायल की मदद की या नहीं. ईरान ने इजरायल के कई सैन्य ठिकानों पर सीधा हमला किया था, जिससे वहां की सुरक्षा प्रणाली की गंभीर खामियां उजागर हुईं. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और इजरायल के पास हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम तो हैं, लेकिन इतनी तेज मिसाइलों और ड्रोन हमलों के बीच ये सिस्टम भी थकने लगे.
सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने युद्ध से बनाई दूरी
वहीं, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने इस पूरे युद्ध से दूरी बनाई रखी. अब इन देशों को लगता है कि उन्होंने ईरान के साथ रिश्ते सुधारकर सही किया. Middle East Eye की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अरब राजनयिक ने कहा, “हमारे नजरिए से देखा जाए तो यह युद्ध हमारे लिए अच्छी तरह खत्म हुआ. इजरायल को अब पहली बार एक मजबूत देश से भिड़ने की असली कीमत चुकानी पड़ी है.”
अब जब इजरायल ईरानी हमलों के बाद अपनी सुरक्षा रणनीति का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है, ईरान चीन की मदद से अपनी एयर डिफेंस क्षमता मजबूत कर रहा है. दूसरी ओर, सऊदी अरब का झुकाव अब तुर्किए और संभवतः ईरान की ओर भी बढ़ सकता है.
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