अमेरिका का बड़ा एक्शन, पाकिस्तान की मदद करने वाली 4 संस्थाओं पर लगाया बैन

अमेरिका का बड़ा एक्शन, पाकिस्तान की मदद करने वाली 4 संस्थाओं पर लगाया बैन


US-Pakistan Relations: संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम में योगदान देने के आरोप में चार पाकिस्तानी संस्थाओं पर बैन लगाया है. इनमें प्रमुख सरकारी रक्षा एजेंसी नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) और तीन अन्य कराची स्थित निजी कंपनियां – अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल, और रॉकसाइड एंटरप्राइज शामिल हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि ये बैन सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) और उनके वितरण के साधनों को रोकने के लिए लगाए गए हैं. प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया कि इन संस्थाओं ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए उपकरण और आपूर्ति का प्रबंधन किया. 

बैन लगाए गए कंपनी का क्या काम?
NDC पाकिस्तान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों, विशेष रूप से शाहीन श्रृंखला के विकास के लिए जिम्मेदार है. यह मिसाइल परीक्षण उपकरणों और लॉन्च सपोर्ट चेसिस जैसी वस्तुएं हासिल करने में शामिल रहा है.

अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड: NDC के लिए लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम हेतु उपकरणों की आपूर्ति करता है.

एफिलिएट्स इंटरनेशनल: NDC और अन्य संबंधित संस्थाओं के लिए मिसाइल उपयोगी वस्तुओं की खरीद की सुविधा प्रदान करता है.

रॉकसाइड एंटरप्राइज: NDC को बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए उपकरणों की आपूर्ति करने में शामिल है.

प्रतिबंधों का उद्देश्य
अमेरिकी विदेश विभाग ने इन संस्थाओं को हथियारों के निर्माण, अधिग्रहण या इस्तेमाल करने के प्रयासों में भौतिक रूप से योगदान देने का दोषी पाया. यह कदम पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रसार को रोकने और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों का हिस्सा है.

क्या है NDC की भूमिका?
NDC पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल परियोजनाओं के लिए प्रमुख एजेंसी है. यह देश के लंबी दूरी के मिसाइल कार्यक्रम को उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करता है. इसके तहत शाहीन श्रृंखला की मिसाइल विकसित की गई हैं, जो पाकिस्तान के सामरिक मिसाइल कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

अमेरिकी विदेश नीति का संकेत
ये प्रतिबंध अमेरिका की WMD रोकथाम नीति के तहत लगाए गए हैं. यह कदम न केवल पाकिस्तान के हथियार कार्यक्रम पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है, बल्कि सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वैश्विक खतरे को कम करने की दिशा में भी है.

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