Global Trade War: अमेरिका ने चीन, मेक्सिको और कनाडा पर हेवी टैरिफ क्या लगा दिया, दुनिया भर में ट्रेड वॉर का खतरा मंडराने लगा है. इससे भारत के विदेशी निवेशक भी डर गए हैं. फरवरी के पहले हफ्ते में ही फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों ने 7,342 करोड के शेयरों की बिकवाली कर डाली है. इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी, जबकि दिसंबर में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था. जानकारों के मुताबिक, विदेशी निवेशक ग्लोबल फैक्टर के कारण भारत में बाजार की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
ग्लोबल अनसर्टेनिटी से एफपीआई नहीं उठा रहे निवेश का जोखिम
शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि ग्लोबल फैक्टर में अनिश्चितता की वजह से विदेशी निवेशकों ने जोखिम न उठाने का विकल्प चुना है. इसके चलते वे भारत जैसे उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं. भारतीय करेंसी भी कमजोर होकर पहली बार 87 रुपया प्रति डॉलर से नीचे आ गया है. रुपये की कमजोरी के कारण भी विदेशी निवेशकों का लाभ घटता है और भारतीय में निवेश उनके लिए फायदेमंद नहीं रह जाता है. यह भी एफपीआई को बिकवाली के लिए मजबूर कर रहा है.
आगे विदेशी निवेशकों का भरोसा हो सकता है बहाल
शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों की वजह से एफपीआई की बिकवाली में कमी आने की उम्मीद है. इसका बड़ा कारण डॉलर इंडेक्स में नरमी का रुख भी है. अमेरिकी बॉन्ड भी अब कमजोरी दिखा रहे हैं. इसके अलावा इकोनॉमिक ग्रोथ और कंपनियों की आमदनी में सुधार पर भी भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का टिकना निर्भर करेगा. ज्ञात हो कि एफपीआई ने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. इससे पहले 2023 में 1.71 लाख करोड़ रुपये शुद्ध निवेश किया था.
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