‘200 परसेंट लगा देंगे टैरिफ’, डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपियन यूनियन और फ्रांस को क्यों दी वॉर्निंग?

‘200 परसेंट लगा देंगे टैरिफ’, डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपियन यूनियन और फ्रांस को क्यों दी वॉर्निंग?


Tariff War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फ्रांस और यूरोपीय यूनियन के देशों को चेतावनी दी है कि वह शैंपेन और वाइन समेत सभी शराब इंपोर्ट पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे. इससे पहले यूरोपीय यूनियन की ओर से अमेरिकी व्हिस्की पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही थी.

उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “यूरोपीय यूनियन दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स और टैरिफ प्राधिकरणों में से एक है, जिसका गठन संयुक्त राज्य अमेरिका का लाभ उठाने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया था. उसने व्हिस्की पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. अगर यह टैरिफ तुरंत नहीं हटाया जाता है, तो अमेरिका जल्द ही फ्रांस और अन्य यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधित्व वाले देशों से आने वाली सभी वाइन, शैंपेन और अल्कोहल उत्पादों पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा. यह अमेरिका में वाइन और शैंपेन व्यवसायों के लिए बहुत अच्छा होगा.”

‘अमेरिकी की संपत्ति भी लेकर आएंगे वापस’

ट्रंप ने बुधवार (12 मार्च, 2025) को कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका अन्य देशों और साफतौर से अक्षम अमेरिकी नेतृत्व की ओर से उससे चुराई गई बहुत सी चीजों को वापस लेने जा रहा है. हम अपनी संपत्ति वापस लेने जा रहे हैं और हम उन बहुत सी कंपनियों को वापस लेने जा रहे हैं जो चली गईं.”

यूरोपियन यूनियन दी थी चेतावनी

वहीं, यूरोपीय यूनियन ने भी जवाब दिया. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि चूंकि अमेरिका 28 बिलियन डॉलर के टैरिफ लगा रहा है, इसलिए हम 26 बिलियन यूरो या लगभग 28 बिलियन डॉलर के जवाबी उपायों के साथ जवाब दे रहे हैं. इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों के साथ-साथ कपड़ों, घरेलू उपकरण और कृषि वस्तुओं पर भी लागू होंगे और 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे.

अमेरिका ने क्या कहा?

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूरोपीय संघ, इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादन में अतिरिक्त क्षमता को ठीक करने के बजाय, अमेरिका को दंडित कर रहा है. उन्होंने एक बयान में कहा, “यूरोपीय संघ की दंडात्मक कार्रवाई संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की पूरी तरह से अवहेलना करती है. यूरोपीय संघ की व्यापार और आर्थिक नीतियां वास्तविकता से मेल नहीं खाती हैं.”

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