नेपाल में राजशाही के लिए हिंसक प्रदर्शन, सड़क पर उतरी सेना, काठमांडू में आगजनी के बाद कई इलाकों

नेपाल में राजशाही के लिए हिंसक प्रदर्शन, सड़क पर उतरी सेना, काठमांडू में आगजनी के बाद कई इलाकों


Curfew In Many Areas Of Nepal: नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार  (28 मार्च,2025 ) को राजशाही समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. स्थिति बिगड़ने के बाद प्रशासन ने तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया. नेपाल-त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को आज रात 10 बजे तक के लिए बंद कर दिया गया है. नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों में एक पत्रकार समेत 2 लोगों की मौत हो गई है.

स्थानीय मीडिया के अनुसार, हिंसा तब बढ़ी जब प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसके जवाब में सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. इस बीच प्रदर्शनकारियों ने एक बिजनेस कॉम्प्लेक्स, शॉपिंग मॉल, एक राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय और एक मीडिया हाउस की इमारत को आग के हवाले कर दिया. इस हिंसक घटना में 12 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं, जबकि कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.

हजारों प्रदर्शनकारियों ने की सड़कों पर रैली
दरअसल, शुक्रवार (28 मार्च,2025 ) को हुए इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में राजशाही समर्थक शामिल हुए. इस प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) और अन्य राजशाही समर्थक समूहों ने किया. प्रदर्शनकारी नेपाल के राष्ट्रीय झंडे लहरा रहे थे और उनके हाथों में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें थीं. वे “राजा आओ, देश बचाओ” और “हमें राजशाही वापस चाहिए” जैसे नारे लगा रहे थे. तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा बलों को तैनात किया है.

नेपाल में राजशाही की बहाली की बढ़ती मांग
नेपाल ने 2008 में एक संसदीय घोषणा के तहत अपनी 240 साल पुरानी राजशाही समाप्त कर देश को संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था. हालांकि, हाल के महीनों में कुछ समूह फिर से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं. यह मांग तब और तेज हो गई जब पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस पर एक वीडियो संदेश जारी कर सार्वजनिक समर्थन की अपील की थी.

नेपाल सरकार का कर्फ्यू आदेश
नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय और जिला प्रशासन कार्यालय, काठमांडू ने स्थिति को देखते हुए कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया. समय: 3:25 PM से रात 10:00 PM तक काठमांडू महानगरपालिका के चार किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, प्रदर्शन, धरना और आवाजाही पर रोक लगा दिया गया है.

प्रतिबंधित क्षेत्र:
गौशाला से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मैत्रीधारा, तिनकुने, कोटेश्वर
कोटेश्वर से जडिबुटी पुल और बालकुमारी पुल
बानेश्वर चौराहे से शंखमुल पुल
गौशाला चौराहे से नया बानेश्वर चौक

सुरक्षा कड़ी, नेपाली सेना तैनात
झड़प के बाद काठमांडू की सड़कों पर नेपाली सेना की तैनाती शुरू कर दी गई है. प्रशासन और सुरक्षा बल स्थिति को नियंत्रित करने में लगे हुए हैं, जबकि प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग क्यों बढ़ रही है?
नेपाल ने 2008 में संसद द्वारा राजशाही को समाप्त कर धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की थी. हालांकि, हाल के महीनों में राजशाही की वापसी की मांग तेज हो गई है. इसका प्रमुख कारण पूर्व राजा ग्यानेंद्र शाह की जनता से समर्थन की अपील मानी जा रही है, जिसे उन्होंने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जारी किया था.

पूर्व राजा ग्यानेंद्र का बढ़ता जन समर्थन
इस महीने की शुरुआत में जब पूर्व राजा ग्यानेंद्र धार्मिक यात्रा से लौटे, तो त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हजारों समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया. प्रदर्शनकारियों ने “राजा वापस आओ, देश बचाओ” और “हमें राजशाही चाहिए” जैसे नारे लगाए. कुछ समर्थकों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी ग्यानेंद्र के साथ प्रदर्शित कीं, जो नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को और बल देती हैं.

नेपाल में राजशाही समर्थन की लहर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नेपाल में हिंदू राजशाही की बहाली की मांग अब एक मजबूत आंदोलन का रूप ले रही है. इसका प्रमुख कारण देश में भ्रष्टाचार, आर्थिक गिरावट और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर जनता में बढ़ती नाराजगी है. 2008 के बाद से नेपाल में 13 से अधिक सरकारें बदलीं, लेकिन राजनीतिक स्थिरता नहीं आई. जनता का एक बड़ा वर्ग मानता है कि राजशाही शासन में देश अधिक स्थिर और संगठित था. 

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