आईआरसीटीसी घोटाले में राउज एवेन्यू कोर्ट में उस समय बड़ा मोड़ आया जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया. उन्होंने सीबीआई स्पेशल कोर्ट से खुद को बरी करने की मांग करते हुए कहा, ‘सीबीआई का मामला चुनिंदा तथ्यों पर आधारित है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है’.
राउज एवेन्यू कोर्ट में लालू परिवार के वकील ने दी दलील
स्पेशल सीबीआई जज विशाल गोगने की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान लालू परिवार के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने जोरदार बहस की. उन्होंने कहा, ‘यह पूरा मामला एक पूर्व नियोजित राजनीतिक षड्यंत्र है. जांच एजेंसी ने चार्जशीट में मनमाने तरीके से तथ्यों को रखा है और हमारे मुवक्किलों को फंसाने की कोशिश की जा रही है. वहीं, सीबीआई ने कहा, ‘उनके पास पुख्ता सबूत हैं जो यह दर्शाते हैं कि लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए टेंडर प्रक्रिया को मनमाने तरीके से एक निजी कंपनी के पक्ष में मोड़ा गया था’.
क्या है पूरा मामला ?
सीबीआई के मुताबिक 2004 से 2014 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद ने पुरी और रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों को IRCTC को ट्रांसफर करने और फिर पटना स्थित सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर देने में अनियमितताएं कीं. जांच एजेंसी का दावा है कि टेंडर प्रक्रिया को पहले से तय योजना के तहत बदला गया ताकि यह सौदा लालू परिवार के करीबी व्यवसायियों को मिले. सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के अलावा आईआरसीटीसी के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी वी.के. अस्थाना और आर.के. गोयल तथा सुजाता होटल्स के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर को भी आरोपी बनाया है.
लालू परिवार ने कहा- मामला राजनीति से प्रेरित है
लालू प्रसाद ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में कहा कि हमने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया. यह मामला सिर्फ हमें परेशान करने के लिए बनाया गया है. अगर सीबीआई के पास कोई ठोस सबूत हैं तो वे अदालत में पेश करें. राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने भी अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है.
अगली सुनवाई 21 अप्रैल को
कोर्ट ने आंशिक बहस सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय की है. स्पेशल सीबीआई जज विशाल गोगने ने कहा, ‘आरोपी पक्ष की ओर से दी गई दलीलें आंशिक रूप से सुनी गई हैं. मामले की अगली सुनवाई में इस पर और बहस की जाएगी. अब सबकी नजरें 21 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि लालू परिवार को राहत मिलेगी या मामला आगे बढ़ेगा.
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