Supreme Court On Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार (16 अप्रैल 2025) को वक्फ कानून पर सुनवाई की. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश या निर्देश नहीं दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी?
‘वक्फ बाई यूजर को खत्म करने के हो सकते हैं गंभीर परिणाम’
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल और अधिनियम के समर्थकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन पूरी तरह संविधान सम्मत हैं और इनमें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की कोई बात नहीं है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये भी कहा कि वक्फ बाई यूजर को खत्म करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. हालांकि कोर्ट ने कहा कि इसका दुरुपयोग भी हुआ है.
वक्फ बाई यूजर को कैसे करेंगे रजिस्टर- सुप्रीम कोर्ट
वक्फ बाई यूजर के प्रावधान को हटाने पर सवाल उठाते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने पूछा कि ब्रिटिश हुकुमत से पहले वक्फ रजिस्टेशन की व्यवस्था नहीं थी. कोर्ट ने कहा, “बहुत सारी मस्जिदें 13वीं, 14वीं, 15वीं शताब्दी की बनी हैं. आप चाहते हैं कि आपको सेड डीड दिखाएं, लेकिन वे कहां से दिखाएंगे. आप वक्फ बाई यूजर को कैसे रजिस्टर करेंगे. यह पहले से स्थापित किसी चीज को खत्म करना होगा. आप यह नहीं कह सकते कि कोई वास्तविक नहीं होगा.”
आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते- सुप्रीम कोर्ट
तुषार मेहता ने कहा कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ अधिनियम के तहत शासित नहीं होना चाहता. पीठ ने इसके बाद मेहता से पूछा, ‘‘क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे. इसे खुलकर कहें.’’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब 100 या 200 साल पहले किसी सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता था, तो उसे अचानक वक्फ बोर्ड की ओर से अपने अधीन नहीं लिया जा सकता था और अन्यथा घोषित नहीं किया जा सकता था. पीठ ने कहा, ‘‘आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते.’’