दुनियाभर में चर्चित हैकिंग ग्रुप ‘एनोनिमस’ ने एक बार फिर हलचल मचा दी है. इस बार उनका निशाना बना है रूस. जानकारी के मुताबिक, एनोनिमस ने रूस से जुड़े कई अहम डाटा को इंटरनेट पर लीक कर दिया है. यह साइबर हमला इतना बड़ा है कि करीब 10 टेराबाइट (TB) का डेटा ऑनलाइन डाल दिया गया है.
हैरानी की बात ये है कि लीक हुई फाइल्स में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी एक फाइल भी शामिल बताई जा रही है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एनोनिमस की तरफ से एक पोस्ट किया गया है जिसमें इस फाइल का नाम ‘Leaked Data Of Donald Trump’ बताया गया है.
एनोनिमस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी शेयर करते हुए कहा कि यह कदम उन्होंने यूक्रेन के समर्थन में उठाया है. पोस्ट के मुताबिक, जिन डेटा को पब्लिक किया गया है, उनमें रूसी नेताओं, कारोबारियों, और क्रेमलिन से जुड़ी संपत्तियों की डिटेल्स शामिल हैं.
ट्रंप की फाइलों ने बढ़ाई हलचल
सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी है एक फाइल जिसका नाम है ‘Leaked Data Of Donald Trump’ इस फाइल में क्या कुछ है, यह तो अभी साफ नहीं हो पाया है, लेकिन नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामला बड़ा हो सकता है. इससे पहले भी एनोनिमस ने ट्रंप पर रूस से गहरे रिश्तों और जासूसी जैसे गंभीर आरोप लगाए थे.
In defense of Ukraine Anonymous has released 10TB of leaked data on all businesses operating in Russia, all Kremlin assets in the West, pro-Russian officials, Donald Trump, and more. 🇺🇦 #OpRussia https://t.co/Z1wKhjcSUz pic.twitter.com/Hod9qGBi8l
— Anonymous (@YourAnonCentral) April 15, 2025
रूस को क्यों बनाया निशाना?
एनोनिमस पहले भी रूस के खिलाफ कई बार साइबर एक्शन ले चुका है. खासतौर पर जब से यूक्रेन पर रूस ने हमला किया है, तब से यह ग्रुप लगातार रूस की डिजिटल इमेज को टारगेट करता आ रहा है. इस बार के हमले में बताया गया है कि रूस के अंदर चल रहे कारोबार, सरकार के सहयोगी और संपत्ति निवेशों की कई सीक्रेट बाहर आई हैं.
कोई धमकी नहीं, लेकिन संकेत गहरे
हालांकि, इस बार एनोनिमस ने कोई सीधी धमकी नहीं दी है, लेकिन जिस तरह से पोस्ट में ट्रंप की फाइल को हाईलाइट किया गया है, उससे इतना तो तय है कि आगे कुछ और खुलासे हो सकते हैं.
एनोनिमस कौन है?
एनोनिमस को एक ‘हैक्टिविस्ट ग्रुप’ माना जाता है. यानी कि ये हैकिंग को एक तरह के विरोध और एक्टिविज्म के रूप में इस्तेमाल करते हैं. यह ग्रुप दुनियाभर की उन संस्थाओं को निशाना बनाता है जिन्हें ये भ्रष्ट, तानाशाही या जनविरोधी मानते हैं.
फिलहाल दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियां और मीडिया इस लीक हुए डेटा की जांच में जुट गई हैं. अगर इन दस्तावेजों में कुछ पुख्ता सबूत निकलते हैं, तो रूस और अमेरिका दोनों के लिए यह मामला भारी पड़ सकता है, खासकर जब इसमें ट्रंप जैसा बड़ा नाम सामने आया है.