China On US Tariffs: अमेरिका और चीन के बीच भारी व्यापारिक तनाव के बीच को लेकर जिस बात की कयासबाजी हो रही थी आखिरकर वो सच साबित हो होता हुआ दिख रहा है. इस पूरे विवाद का फायदा अब भारत मिलने का संकेत लग रहा है. बीजिंग ने नई दिल्ली से कहा कि वो भारत के ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम सामानों के आयात के लिए तैयार है. इतना नहीं, उसने आगे ये भी कहा है कि चीन के बाजार में भारतीय व्यवसाय की पूरी तरह से मदद के लिए तैयार है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा करीब रिकॉर्ड 99.2 बिलियन डॉलर का बढ़कर हो चुका है. टीओआई के दिए एक्सक्लूसिव इंटव्यू में चीन के भारतीय राजदूत Xu Feihong ने ये भी उम्मीद जताई है कि चीनी कंपनियों के लिए भारत भी किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगी और पूरी तरह से पारदर्शिता अपनाएगी.
चीन को अब भारत का सहारा
उन्होंने पीएम मोदी के हाल के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं तब्दील होने दिया जाएगा. शू फेहोंग ने आगे कहा कि स्थायी और सहयोगात्मक संबंध के लिए बातचीत जरूरी है और चीन इस साल होने वाले शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के गर्मजोशी के स्वागत के लिए तैयार है.
अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ के सवाल पर चीन के राजदूत ने कहा कि चीन और भारत की ये जिम्मेदारी है कि एकात्मवाद और संरक्षणवाद के किसी भी तरीके का दोनों ही देश एकजुट होकर विरोध करे. इसके साथ ही, उन्होंने मैनपावर और इक्विटपमेंट पर चीन के एक्सपोर्ट कंट्रोल को लेकर भारत की चिंताएं, ब्रह्मपुत्र नदी के जल और मीडिया की भूमिका और आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए लोगों से लोगों के संपर्क पर भी जवाब दिया.
उल्टा पड़ा ट्रंप का दांव
गौरतलब है कि 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया. उनके इस फैसले के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में दहशत दिखा और बुरी तरह से क्रैश हुआ. इसमें निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए. अर्थव्यवस्था के इस नुकसान को देखते हुए ट्रंप की तरफ से 90 दिनों के लिए टैरिफ पर रोक लगाई गई. लेकिन उस रोक से चीन को बाहर रखा गया.
चीन ने जवाब कार्रवाई करते हुए अमेरिका के ऊपर टैरिफ को बढ़ा दिया तो वहीं अमेरिका ने भी बीजिंग पर टैरिफ को और बढ़ा दिया. हालांकि, अब ट्रंप ने कहा कि वे बीजिंग के साथ इस पूरे मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. इस ट्रेड वॉर का सीधा असर अमेरिकी डॉलर पर दिख रहा है, जिसकी कीमत लगातार गिर रही है. ऐसे में निवेशको के डगमगाते भरोसे से ट्रंप के अपने कदम पर दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है.