3 महीने से धूल फांक रहे सेना के ये खास हेलीकॉप्टर, भारतीय सेना के ऑपरेशंस को लग रहा बड़ा झटका

3 महीने से धूल फांक रहे सेना के ये खास हेलीकॉप्टर, भारतीय सेना के ऑपरेशंस को लग रहा बड़ा झटका


Dhruv Helicopter: भारतीय सशस्त्र बलों को जहां पहले विमान क्रैश और सिंगल इंजन वाले चीता व चेतक हेलीकॉप्टर की खराब सेवाक्षमताओं के कारण जूझना पड़ रहा था तो अब वहीं ध्रुव (एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर) ALH को लेकर सेना के सामने नई चुनौतियां आ गई हैं. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सेना का ध्रुव हेलीकॉप्टर पिछले तीन महीनों से आउट ऑफ सर्विस है, जिसके कारण सेना को मिलिट्री ऑपरेशंस और अन्य कामों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सेना के कई कामों में अहम भूमिका निभाने वाले एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव की वजह से चीन-पाकिस्तान स्थित सुदूर दुर्गम क्षेत्रों में सप्लाई कार्यों में रुकावट आ रही है. साथ ही रेस्क्यू मिशन और पेट्रोलिंग जैसे कार्य भी ठप हो रहे हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि एएलएच के पायलट उड़ान भरने का अनुभव खो रहे हैं. 

‘ALH का संचालन न होने से सेना को हो रहा बड़ा नुकसान’

भारतीय सेना बड़े पैमाने पर एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करती है. सेना के पास 180 से अधिक ALH है, जिसमें 60 हथियारबंद रुद्र संस्करण के ALH भी शामिल हैं. इनका संचालन न हो पाने के कारण सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. भारतीय वायु सेना के पास 75, नेवी के पास 24 और कोस्ट गार्ड के पास 19 ALH हैं. इन सभी को हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. ये 2002 से सेवा में हैं और इन्हें सेना का सबसे ताकतवर विमान माना जाता है. पिछले साल ही सेना के ALH ने करीब 40,000 घंटे उड़ान भरी थी.

‘सेना को 1,000 से अधिक नए हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता’

रिपोर्ट के मुताबिक 5 जनवरी को पोरबंदर में हुई एक दुर्घटना के बाद विमानों को उड़ान भरने से रोक दिया गया. इस दुर्घटना में 2 तटरक्षक पायलट और एक एयरक्रू गोताखोर की जान चली गई थी. सशस्त्र बलों में हेलीकॉप्टरों की कमी हो गई है. सशस्त्र बलों ने कहा है कि उन्हें अगले 10 से 15 वर्षों में 1,000 से अधिक नए हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता है. इसमें 484 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) और 419 इंडियन मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (IMRH) शामिल हैं, लेकिन HAL के इन प्रोजेक्ट में काफी देरी हुई है.

सेना ने पवन हंस, हिमालयन हेली सर्विसेज, ग्लोबल वेक्टरा और थम्बी एविएशन जैसी कंपनियों के साथ 70 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. नवंबर से इन हेलीकॉप्टर्स ने 1,500 घंटे से अधिक उड़ान भरी है, जिसमें कारगिल, गुरेज, किश्तवाड़, गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों जैसे दूरदराज के इलाकों में लगभग 900 टन आपूर्ति की गई है. ये हेलीकॉप्टर हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 30 से अधिक चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए वरदान साबित हुए हैं. HAL अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि पोरबंदर दुर्घटना के लिए जिम्मेदार स्वैश प्लेट फ्रैक्चर का क्या कारण था. अन्य ALH में भी इसी तरह की समस्याएं देखी गई हैं.

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