Kashmir Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी. इसे लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है. एक चश्मदीद पीड़िता ने बताया कि आतंकियों ने सिर पर कैमरा लगाया हुआ था. उन्होंने कहा कि हम लोग तो वहां सिर्फ घूमने के लिए गए थे. मजहब जैसा तो किसी के भी दिमाग में कुछ नहीं था.
पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में ठाणे जिले के डोंबिवली निवासी 3 चचेरे भाइयों की भी जान चली गई. जिनमें 50 वर्षीय संजय लेले, 45 वर्षीय हेमंत जोशी और 43 साल के अतुल मोने शामिल हैं.
‘वो अचानक गोलियां चलाने लगे तो हम डरकर नीचे बैठ गए’
पीड़िता अनुष्का मोने ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में आतंकी हमले की कहानी बयां करते हुए कहा कि जब हमें शुरू में गोली की आवाज आई तो लगा कि ये पर्यटक स्थल है तो कोई शूटिंग का गेम हो रहा होगा. बाद में हमने देखा कि 2 लोग सामने से आ रहे थे और उनके हाथ में राइफल थी. वो अचानक गोलियां चलाने लगे तो हम लोग डरकर नीचे बैठ गए.
‘इधर हिंदू कौन है और मुस्लिम कौन है?’
पीड़िता ने आगे बताया कि आतंकियों ने हवा में फायरिंग कर घोड़े वालों को जाने को कहा. हमारे साथ में जो लोग थे उन्होंने जब कहा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो तो उन्होंने गोली मार दी. जब मेरे पति ने कहा कि गोली मत मारो तो उनको भी गोली मार दी. मेरे पति को गोली मारने के बाद उन्होंने पूछा कि इधर हिंदू कौन है और मुस्लिम कौन है? मेरे जीजा ने हाथ उठाकर कहा कि हम हिंदू हैं तो उनके सिर में गोली मार दी. हमारे सामने ही सबको गोली मार दी.
‘हम लोग सिर्फ घूमने गए थे, मजहब जैसा तो किसी के दिमाग में कुछ नहीं था’
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि उधर कोई पुलिस कर्मी नहीं था. पर्यटन स्थल होने के बाद भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे. उन्होंने आगे बताया कि आतंकियों ने सिर पर कैमरा लगाया हुआ था. लोगों को गोली मारने से पहले उन्होंने हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग होने के लिए कहा. पीड़िता अनुष्का मोने ने कहा कि हम लोग तो वहां सिर्फ घूमने गए थे. मजहब जैसा तो किसी के भी दिमाग में कुछ नहीं था.
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