पाकिस्तान के आठ एयरबेस तबाह होने के बाद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि भारत का इरादा गंभीर है, जिसके बाद उसने तनाव समाप्त करने के लिए शांति की अपील की. सरकारी सूत्रों ने रविवार (11 मई, 2025) को बताया कि सहमति के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं थी. इतना ही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को फोन करके कहा था कि भारतीय मिसाइलों से मात खाने के बाद पाकिस्तान की अकल ठिकाने आ गई है.
उन्होंने कहा कि ये टिप्पणियां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को कमजोर करती हैं कि उनकी मध्यस्थता से शांति बहाल हुई है. सूत्रों ने इस ओर इशारा किया कि डोनाल्ड ट्रंप अतिशयोक्ति के आदी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए बनी सहमति का श्रेय लेते हुए कहा था कि दोनों पक्ष अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत के बाद पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमत हुए हैं.
सूत्रों ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (DGMO) के बीच सहमति बन गई है और इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं है. भारत ने 6 और 7 मई की दरमियानी देर रात आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब न हो सका.
पाकिस्तान की कार्रवाई का भारतीय पक्ष ने कड़ा जवाब दिया और कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें हवाई अड्डे, वायु रक्षा प्रणाली, कमान और नियंत्रण केंद्र और रडार स्थल शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि भारत की ओर से पाकिस्तानी ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद पाकिस्तान ने शत्रुता समाप्त करने की अपील की और पड़ोसी देश के डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष को फोन किया.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों डीजीएमओ के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी और उन्होंने सीजफायर के लिए वॉशिंगटन के मध्यस्थता दावों को खारिज कर दिया. दोनों डीजीएमओ के बीच बातचीत के करीब दो घंटे बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम भारत और पाकिस्तान की ओर से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए एक समझौते पर पहुंचने की घोषणा की.
एक सूत्र ने कहा, ‘हमने शुरू से ही कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच आगे भी केवल डीजीएमओ के बीच सीधे तौर पर बातचीत होगी.’ सूत्रों ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता और भारत और पाकिस्तान के बीच तटस्थ स्थल पर बातचीत को लेकर अमेरिकी प्रशासन की टिप्पणियों को भी दरकिनार किया.
एक सूत्र ने कहा, ‘कश्मीर मुद्दे पर इस्लामाबाद के साथ चर्चा करने का सवाल ही नहीं उठता. हां पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों को वापस करने पर चर्चा की जा सकती है. सूत्र ने इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी को खारिज करते हुए कहा, ‘चर्चा करने के लिए कुछ नहीं है. उन्हें (पाकिस्तान) अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्र को सौंपना होगा और वे इसे सीधे कर सकते हैं. हमें बीच में किसी की जरूरत नहीं है.’
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