भारत और पाकिस्तान की लड़ाई में तुर्किए की असलियत भी सामने आ गई है. जिस तुर्किए को विनाशकारी भूकंप से हुए नुकसान में राहत पहुंचाने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया, उसी ने पीठ में छुरा घोंपा है. वो तुर्किए ही था, जिसने सबसे पहले पाकिस्तान को हथियार भेजे थे, लेकिन उसको भी भारत से ऐसा जख्म मिला है, जिसे वो कभी भूल नहीं पाएगा.
22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को खुली धमकी दी कि तुम्हें धरती के आखिरी छोर से भी बाहर निकाल फेंकेंगे तो पाक पीएम शहबाज शरीफ अपना रोना लेकर तुर्किए पहुंचे. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन भी तुरंत भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देने को तैयार हो गए और 350 ड्रोन्स की खेप तो भेजी ही साथ में उन्हें चलाने के लिए मिलिट्री ऑपरेटर भी भेज दिए.
तुर्किए को पाकिस्तान की मदद करना इतना भारी पड़ा कि उसके मिलिट्री ऑपरेटर भी भारत की जवाबी कार्रवाई में मारे गए. रिपोर्ट के अनुसार तुर्किए के दो मिलिट्री ऑपरेटर ऑपरेशन सिंदूर के तहत चले अभियान में मारे गए. ये ड्रोन के जरिए भारत पर हमला करने में पाक सेना की मदद कर रहे थे, लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई में वह भी मारे गए और यह तुर्किए के लिए किसी गहरे जख्म से कम नहीं है.
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जिन टर्किश हथियारों का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया है, उनमें बायरकतर टीबी 2 और वाईआईएचए ड्रोन शामिल हैं.
फरवरी 2023 में तुर्किए में आए बेहद भयंकर और महाविनाशकारी भूकंप में भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था. इस दौरान भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर न केवल लोगों को बचाया था, बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भी भेजी थी. इस सबके बावजूद तुर्किए ने न सिर्फ पाकिस्तान की मदद की बल्कि शहबाज शरीफ को यह भरोसा दिलाया है कि हर हाल में वह साथ खड़े हैं.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि युद्ध विराम से प्रदान किया गया शांति का माहौल अन्य सभी समस्याओं, विशेष रूप से जल मुद्दे के समाधान में मदद करेगा. इंशाअल्लाह, तुर्किए के रूप में, हम अच्छे और बुरे समय में पाकिस्तान के भाई समान लोगों के साथ खड़े रहेंगे.’