भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब बैंकिंग सिस्टम में नकदी डालने की रफ्तार धीमी कर सकता है. बीते 6 महीनों में RBI ने लगभग 8.57 लाख करोड़ (करीब 100 अरब डॉलर) की लिक्विडिटी सिस्टम में डाली है. अब एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकार को मिलने वाले बड़े सरप्लस ट्रांसफर के बाद RBI की ओर से और नकदी डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
ओपन मार्केट ऑपरेशंस पर फिलहाल विराम
RBI ने इस सोमवार को अपना आखिरी तयशुदा ओपन मार्केट बॉन्ड खरीद कार्यक्रम (OMO) पूरा किया. उसके बाद कोई नई OMO घोषणा नहीं की गई है. जानकारों का मानना है कि सरकार को मिलने वाला डिविडेंड और फिर उस पैसे से होने वाला खर्च खुद ही बाजार में पर्याप्त नकदी ला देगा.
सरकार को मिल सकता है 3 से 4 लाख करोड़ का सरप्लस
जानकारों के अनुसार, RBI इस बार सरकार को 2.5 लाख करोड़ से 3 लाख करोड़ तक का सरप्लस ट्रांसफर कर सकता है. वहीं, Citi के विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह रकम 3.5 लाख करोड़ से 4 लाख करोड़ तक भी हो सकती है. यह सरप्लस ट्रांसफर इसी महीने के अंत से पहले घोषित होने की संभावना है.
सिस्टम में होगी लिक्विडिटी की भरमार
ICICI Securities के रिसर्च हेड ए. प्रसन्ना ने इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा कि सरकार को मिलने वाले डिविडेंड से सिस्टम में 5 लाख करोड़ से ज्यादा की कोर लिक्विडिटी आ सकती है. ऐसे में RBI को अगले तीन महीनों तक कोई बड़ी नकदी डालने की ज़रूरत नहीं होगी. वे मानते हैं कि RBI अब सितंबर के बाद ही फिर से OMO का सहारा ले सकता है.
बॉन्ड यील्ड में दिखी गिरावट
इतनी बड़ी नकदी सप्लाई और ब्याज दरों में नरमी की उम्मीद के चलते बॉन्ड मार्केट में हलचल देखी गई है. चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड में 38 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई है. वहीं 5-वर्षीय यील्ड में 57 बेसिस पॉइंट की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
इसका आम लोगों पर क्या असर होगा?
इससे लोन की दरों में तत्काल कोई बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है, क्योंकि RBI फिलहाल और लिक्विडिटी नहीं बढ़ाएगा. सरकार को अधिक सरप्लस मिलने से बजट खर्च बढ़ सकता है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक योजनाओं को बल मिल सकता है. निवेशकों को अब ब्याज दरों और बॉन्ड यील्ड में स्थिरता देखने को मिल सकती है.
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